(रजि.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलराम शर्मा एवं सचिव डा. भूपेन्द्र विकल ने जारी प्रेस नोट मे कहा कि इससे डिजिटल मीडिया पर ‘अनुचित प्रतिबंध’ लगेगा. उन्होंने मांग की कि सरकार को इन नियमों को वापस लेना चाहिए. ‘बेलगाम सोशल मीडिया’ को कंट्रोल करने के नाम पर सरकार ‘मीडिया को मिली संवैधानिक सुरक्षा’ को छीन नहीं सकती है.
इन्होंने कहा कि नए नियम पूरी तरह से उस प्रक्रिया को बदल देते हैं, जिस तरह प्रकाशक इंटरनेट पर खबरें प्रसारित करते हैं. ‘इसके चलते भारत में मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश लगेगा. सोशल मीडिया फाउन्डेशन के समस्त सदस्यों ने भी चिंता जाहिर की कि इन नियमों के तहत सरकार को असीमित शक्तियां दे दी गई हैं. उन्होंने कहा, ‘इसने केंद्र सरकार को देश में कहीं भी प्रकाशित समाचारों को ब्लॉक करने, हटाने या संशोधित करने का अधिकार दिया है और यह सभी प्रकाशकों को एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने के लिए बाध्य करते हैं.’
कहा कि इस तरह का ‘रिफॉर्म्स’ बनाते वक्त सरकार ने इससे जुड़े हितधारक मीडियाकर्मियो से कोई विचार नहीं किया, इसलिए इन नियमों को लागू नहीं किया जाना चाहिए और सभी संबंधित लोगों से बात की जाए. सोशल मीडिया फाउंडेशन (रजि.) के सदस्य देश भर में मीडिया कर्मियों के साथ इस नये नियम के विरुद्ध बैठको का आयोजन करेगें. उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने बीते दिनो सोशल मीडिया मंचों के दुरूपयोग रोकने के लिए नए दिशा-निर्देशों की घोषणा की, जिनके तहत संबंधित कंपनियों के लिए एक पूरा शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा. साथ ही ख़बर प्रकाशकों, ओटीटी मंचों और डिजिटल मीडिया के लिए ‘आचार संहिता’ और त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली लागू होगी. इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2021 के नाम से लाए गए ये दिशानिर्देश देश के टेक्नोलॉजी नियामक क्षेत्र में करीब एक दशक में हुआ सबसे बड़ा बदलाव हैं. ये इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2011 के कुछ हिस्सों की जगह भी लेंगे.
इन नए बदलावों में ‘कोड ऑफ एथिक्स एंड प्रोसीजर एंड सेफगार्ड्स इन रिलेशन टू डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया’ भी शामिल हैं. ये नियम ऑनलाइन न्यूज़ और डिजिटल मीडिया इकाइयों से लेकर नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन प्राइम पर भी लागू होंगे. डिजिटल मीडिया पर खबरों के प्रकाशकों को भारतीय प्रेस परिषद की पत्रकारीय नियमावली तथा केबल टेलीविजन नेटवर्क नियामकीय अधिनियम की कार्यक्रम संहिता का पालन करना होगा, जिससे ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया के बीच समान अवसर उपलब्ध हो. नियमों के तहत स्वनियमन के अलग-अलग स्तरों के साथ त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली भी स्थापित की गई है. इसमें पहले स्तर पर प्रकाशकों के लिए स्वनियमन होगा, दूसरा स्तर प्रकाशकों के स्वनियामक निकायों का स्वनियिमन होगा और तीसरा स्तर निगरानी प्रणाली का होगा.इन नये नियमो को लागू नही किया जाये इसके लिए सोशल मीडिया फाउंडेशन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर अपना विरोध भी जताया था.

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