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क्या इसे कहते हैं सोशल डिस्टेंसिंग, जनप्रतिनिधयों के साथ मास्क बांटने गए कलेक्टर एसपी, दिखी भीड

बुधवार, 24 मार्च 2021

/ by Vipin Shukla Mama
मुरैना। शहर में विगत दिवस जिले के दण्डाधिकारी  व पुलिस अधीक्षक सहित जनप्रतिनिधयों ने लोगों को मास्क वितरित किए और सारयन भी बजाये। लेकिन इन तीनों में एक समानता थी कि कोई भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन यानि दो गज की दूरी नहीं बनाये हुए था। मजे की बात तो तब हो गई जबकि कलेक्टर, एसपी और जनप्रतिनिधियों के साथ अच्छी खासी भीड अपने फोटो चमकाने के लिये उसके साथ चल रहे थे। इस नजारे को देख आम लोगों में यह दिनभर चर्चा का विषय बन रहा है यह कैसी सोशल डिस्टेंसिंग। केवल अखबारों में अपने फोटो खिंचवाने के लिये मास्क का वितरण करने से क्या कोरोना समाप्त हो जायेगा। क्या मास्क अकेला पहन लेने से और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने से कोरोना वायरय असर नहीं करेगा....? बुद्धिजीवियों की मानें तो उनका तो यही कहना है कि जब जनप्रतिनिध ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करेंगे तो फिर आम लोगों से कैसे उम्मीद की जायेगी। सरकार द्वारा पहले भी अब अब भी यह आदेश दिये गए कि भीड इकट््ठा न करें व कोरोना वायरस से बचने के लिये भीडभाड वाले इलाकों से दूर रहें। लेकिन हकीकत में ऐसा केवल और केवल आम लोगों के लिये है। भीड इकट््ठी करने की छूट तो केवल शासन प्रशासन और राजनेताओं को मिली हुई है। पहले भी राजनेताओं द्वारा मुरैना में हुए विधानसभा   चुनावों में हजारों व लाखों की संख्या में भीड इकट््ठी कर इस वायरस को आमंत्रण दिया था ऐसा ही हाल अब वर्तमान में भी होने वाला है व हो रहा है। विदित हो कि निकाय चुनाव समीप आ रहे हैं इसी के चलते आये दिन जनप्रतिनिधियों द्वारा बैठकें और आम लोगों से मिलना जुलना शुरू हो गया है। लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किसी भी तरह से इन राजनेताओं द्वारा नहीं किया जा रहा है और तो और अगर राजनेताओं को अपनी रैली भी निकालनी हो तो उस पर किसी भी तरह की कोई पाबंदी न तो जिम्मेदारी अधिकारियों की रहती है और न ही उच्च राजनेताओं की। केवल अपने भाषणबाजी में उक्त राजनेता सोशल डिस्टेंसिंग जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं लेकिन असल में वही लोग इसका उल्लंघन करते हैं। सायरन और मास्क वितरण में इसका उदाहरण साफ देखा जा सकता है। एक फोटो में तो राजनेता दो बच्चों के साथ सटकर बैठा हुआ है और वहीं दूसरी ओर सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में भी बताया जा रहा है। इससे तो यही साबित होता है कि कलेक्टर एसपी से लेकर राजनेताओं तक को नहीं पता कि आखिर सोशल डिस्टेंसिंग कहते किसे हैं।
क्या होती है सोशल डिस्टेंसिंग
इन्फेक्शन (कोरोना वायरस) कम फैले और इस बीमारी पर रोक लगाई जा सके, इसके लिए एक दूसरे से कम संपर्क रखने को ही सोशल डिस्टेंसिंग (सोशल दूरी) कहा जाता है। इसका सीधा मतलब ये है कि बहुत सारे लोग किसी एक स्थान पर जमा ना हों। किसी इमारत को बंद कर देना, घर में बंद होकर रहना या फिर किसी सार्वजनिक कार्यक्रम को रद्द कर देना भी इसी का हिस्सा है। कोरोना वायरस पर रोक लगाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बहुत जरूरी है। सोशल डिस्टेंसिंग ही व्यवहार में वो परिवर्तन करना है, जिससे वायरस को फैलने से रोका जा सकता है।
सोशल डिस्टेंसिंग की प्रेक्टिस ऐसे करें-
आप खुद एक व्यक्ति के रूप में, अन्य लोगों के साथ संपर्क की दर को कम करके संक्रमण को फैलने से रोक सकते हैं। सबसे जरूरी है किसी सार्वजनिक स्थान पर ना जाना। सामाजिक समारोह में जाने से बचें, खासतौर पर उन जगहों पर जहां बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ हो। इन बातों का ध्यान रखकर आप भी सोशल डिस्टेंसिंग को अमल में ला सकते हैं। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के लिए अगर संभव हो तो घर से ही काम करें। वीडियो कॉलिंग के जरिए दोस्तों और रिश्तेदारों का हालचाल पूछ सकते हैं। ऑफिस की मीटिंग में वीडियो कॉल के जरिए शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा किसी सार्वजनिक वाहन का इस्तेमाल करने से बचें।
क्या काम करता है मास्क
हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मास्क कोरोना वायरस से बचने की गारंटी नहीं है लेकिन लोगों को प्रोटेक्ट करने में सहायक है। हमारे लिए जरूरी है कि कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों पर ब्रेक लगाने के लिए हम सभी अपनी तरफ से पूरी सतर्कता बरतें और हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। 
-आप मास्क के कारगर होनेवाली बात को इस तरह समझ सकते हैं कि पास-पास बैठे दो लोगों में अगर एक कोरोना संक्रमित है और दूसरा कोरोना संक्रमित नहीं है। लेकिन दोनों ने ही मास्क पहन रखे हैं। तो इस स्थिति में जो व्यक्ति संक्रमित है, उसके मुंह से निकलनेवाले ड्रॉपलेट्स बेहद कम मात्रा में बाहर जा पाएंगे।
-जो ड्रॉपलेट्स सांस के जरिए हवा में जाएंगे भी वे दूसरे व्यक्ति की सांसों में इसलिए नहीं जा पाएंगे क्योंकि उसने भी मास्क पहना हुआ है। साथ ही अगर ये किसी तरह सांस में चले भी जाते हैं तो इनकी मात्रा बेहद कम होगी। ऐसे में ये शरीर पर तुरंत अटैक नहीं कर पाएंगे और जब तक इतनी संख्या में खुद को विकसित करेंगे कि शरीर को रोगी बना सकें। तब तक आपकी इम्युनिटी इन्हें खत्म कर देगी।
अगर आपमें कोरोना लक्षण आते हैं तो तुरंत ट्रीटमेंट पाकर आप जल्दी स्वस्थ हो सकते हैं। वहीं, अगर मास्क का उपयोग ना किया जाए तो बीमार व्यक्ति की सांसों और मुंह से बड़ी मात्रा में कोरोना ड्रॉपलेट्स हवा में आएंगे और आस-पास बैठे लोगों को बड़ी संख्या में प्रभावित कर गंभीर रूप से बीमार बना सकते हैं।
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ये सावधानियां हैं बेहद जरूरी
-मास्क पहनने के दौरान इस बात का अब भी पूरा ध्यान रखना है कि आप इस मास्क को बार-बार टच ना करें।
-अगर मास्क उतारना है तो पहले हाथों को साबुन से धुल लें या फिर सेनिटाइज करें, उसके बाद ही मास्क को हाथ लगाएं।
-बाजार में मास्क अब सस्ती दरों और बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं। लेकिन आप चाहें तो घर पर बने मास्क का उपयोग भी कर सकते हैं।
-जिन मास्क को दोबारा उपयोग किया जा सकता है, उन्हें तेज गर्म पानी में भिगोकर रखने, सावधानी से धोने और तेज धूप में सुखाने के बाद ही दोबारा उपयोग में लाएं।

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