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चंबल अभ्यारण में 'चित्रित सारस'

सोमवार, 17 मई 2021

/ by Vipin Shukla Mama
मुरैना। (यदुनाथ सिंह तोमर फ़ोटो जर्नलिस्ट) चित्रित सारस, सारस परिवार का सदस्य है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में हिमालय के दक्षिण में उष्णकटिबंधीय एशिया के मैदानी इलाकों की आर्द्रभूमि और दक्षिण पूर्व एशिया में फैली हुई है। वयस्कों के उनके विशिष्ट गुलाबी तृतीयक पंख उन्हें अपना नाम देते हैं। यह पक्षी रेगिस्तानी इलाकों में एवं जहां इन्हें  पानी उपलब्ध हो ऐसे स्थानों को भी यह अपना डेरा बना लेते हैं अपने भोजन के लिए यह छोटी मछलियों का शिकार करते हैं इसलिए इन्हें नदी एवं तालाब के किनारे अधिक देखा जा सकता है। सारस परिवार का यह पक्षी चंबल अभ्यारण में बड़ी आसानी से देखने को मिल जाता है। चंबल नदी में वर्षा काल के बाद जब पानी का जलस्तर धीरे धीरे कम हो जाता है तो इन पक्षियों को अपना भोजन तलाशने में अधिक कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता क्योंकि चंबल नदी में मछलियां इन्हें कम पानी में बड़ी आसानी से अपने भोजन के लिए मिल जाती हैं जिससे इनका जीवन यापन चल जाता है। चंबल अभ्यारण में नवंबर से लेकर मार्च-अप्रैल तक तमाम प्रजाति के प्रवासी पक्षी यहां देखने को मिलते हैं इनको देखने पर्यटकों की संख्या मैं भी कुछ वर्षों में इजाफा हुआ है मगर चंबल अभ्यारण को सरकार से अभी और बहुत आशाएं है जिससे यह अभ्यारण और भी विकसित हो सकेगा बाहर के पर्यटक यहां पर सुरक्षा की दृष्टि से नहीं आ पाते क्योंकि चंबल का नाम सुनते ही उनके जेहन में केवल बागी और बंदूक ही नजर आती है मगर जब यहां की सुंदरता प्राकृतिक सौंदर्य जलीय जीवो का विचरण करना प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां देखने को मिलती है तो उन्हें लगता है की इस जगह को कुछ लोगों की वजह से बदनाम किया गया है मगर यहां आकर लोगों को आनंद की अनुभूति होती है। कवरेज के दौरान एक पर्यटक से जब बात हुई तो उन्होंने बताया की चंबल अंचल के लोगों का दिल बड़ा ही साफ है जो कहना है वह सामने कहते हैं स्वागत सत्कार करने की तरीके भी बड़े साधारण हैं इनमें दिखावा किंचित मात्र भी नहीं है अगर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए तो यह जिला अन्य जिलों की दृष्टि में परिपूर्ण है यहां पर अभ्यारण के साथ-साथ पुरातत्व महत्व की तमाम सारी धरोहर  इस जिले में मौजूद है।

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