मुरैना। ( यदुनाथ तोमर फ़ोटो जर्नलिस्ट) गौरैया स्पैरो परिवार का एक पक्षी है, जो दक्षिण एशिया में सिंधु घाटी क्षेत्र के आसपास पाया जाता है। इसे सिंध जंगल या रूफस-समर्थित गौरैया के नाम से भी जाना जाता है। यह छोटा होता है और इसमें पंखों की विशिष्ट विशेषताएं होती हैं। विकास के क्षेत्र में मनुष्य ने इतनी प्रगति की है वह अपने पर्यावरण एवं जैव विविधता से धीरे धीरे दूर जाने लगा है। इसी का परिणाम है की प्रकृति का धीरे धीरे संतुलन खराब होता जा रहा है उसी का परिणाम है मनुष्य को तमाम सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जहां हमें ऑक्सीजन की कमी महसूस हो रही है, वहीं विकास के नाम पर काटे गए पेड़ों पर जहां तमाम प्रकार के पक्षियों के घरौंदे हुआ करते थे। आज ना तो पेड़ है और ना ही पक्षियों के निवास के घौसले और ना ही पक्षीयो की आवाज सुनाई पड़ती है। कभी गौरैया हमारे परिवार की एक सदस्य पक्षी के रूप में हुआ करती थी जो घर के आंगन में उछल कूद कर अन्न के दानों से अपना पेट भर लिया जाती थी। आज विकास के नाम पर मनुष्य ने 2 जी से 5G तक का सफर तय कर लिया है इसका परिणाम है छोटे पक्षी शहरी क्षेत्र में जीवित नहीं रह पा रहे हैं और उन पक्षियों ने अपना जीवन बचाने के लिए ग्रामीण परिवेश अपना लिया है इसीलिए यह पक्षी ग्रामीण क्षेत्र में बहुत तादाद में देखने को मिल जाते हैं मगर शहरी क्षेत्र से यह पलायन कर जंगल का रास्ता अपना लिया है। यही कारण है की गौरैया शहरों से विलुप्त होती जा रही हैं।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें