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2 बच्चों के बाद अपनाया परिवार नियोजन, 5 माताओं का हुआ सम्मान

रविवार, 11 जुलाई 2021

/ by Vipin Shukla Mama
ग्राम चिटोरीखुर्द में जागरुकता कार्यक्रम समपन्न
जनसख्या जो ये बढ़ रही है अनेक समस्याए पैदा कर रही है जिनमें बेरोजगारी , कुपोषण एवं गरीबी इसीलिए अभी भी समय है जागो शिवपुरी वासियों: सुपोषण सखी सन्ता आदिवासी
शिवपुरी। विश्व जनसंख्या दिवस 2021 प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी 11 जुलाई को मनाया जाता है।  विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का सबसे बड़ा कारण है लोगों को जागरूक करना है। विश्व में बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए विश्व जनसंख्या दिवस को मनाने की घोषणा की गयी थी। 11 जुलाई 2021 को प्रत्येक वर्ष की तरह विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जायेगा। इस बार 29 वां विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जिसके तहत शक्तिशाली महिला संगठन शिवपुरी द्वारा आदिवासी बाहुल्य ग्राम चिटोरीखुर्द में 1 एवं दो बच्चों वाली 6 माताओं को जिन्होने की स्थायी परिवार नियोजन अपना लिया है उनको सम्मानित किया एवं विश्व जनसख्ंया दिवस के उपलक्ष्य में ग्राम वासियो के लिए जागरुकता कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें एक एक किशोरी बालिकाओं को अपने आस पास की परिवारों को जागरुक करने का जिम्मा सौपा। इसके साथ ही स्थाई परिवार नियोजन अपनाने वाली माताओं के घर जाकर जामुन के पौधे लगाए। अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम सयंोजक शक्तिशाली महिला संगठन रवि गोयल ने कहा बताया   इस वर्ष की विश्व जनसख्यंा दिवस की थीम कोविड 19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव रखी गयी है जनसंख्या वृद्धि का अनुमान आप ऐसे लगा सकते है। जब किसी क्षेत्र में युवाओं को नौकरी के लिए भटकने लगे या किसी परिवार को दो वक्त की रोटी के लिए काफी कठिनाई का सामना करना पड़े तो निश्चित ही उस देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी है। ऐसा ही हमारे जिले मे हो रहा है इसीलिए संस्था द्वारा चिटोरीखुर्द में जहां कि आदिवासी परिवारो में कुपोषण एवं स्वास्थ्य की समस्याए का मुख्य कारण जनसंख्या विस्फोट का होना है इसीलिए गांव में ऐसी 5 परिवार जिन्होने की एक एवं दो बच्चे होने पर न केवल स्थायी परिवार नियोजन अपनाया बल्कि अपने परिवार को हर क्षेत्र में बेहतर पाया सर्वप्रथम गांव की सुपोषण सखी सन्ता आदिवासी ने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि मेरी केवल एक 8 साल की लड़की है और मेरा वही पूरा परिवार है मे अब कोई और बच्चा नही चाहती सभी गांव वाले से मेरा निवेदन है कि अपने परिवार को छोटा रखे तंदुरुस्त रखे जिससे कि आप अपने बच्चो का पालन पोषण अच्छे से कर पाओं। जनसख्या जो ये बढ़ रही है अनेक समस्याए पैदा कर रही है जिनमें बेरोजगारी , कुपोषण एवं गरीबी इसीलिए अभी भी समय है जागो नही तो हमारे पास संसाधन ही नही बचेगें।  गांव की आंगनवाड़ी सहायिका ने अपने विचार साझा करते हुए बताया कि मेरे केवल दो बच्चे है और मेरे द्वारा नसवंदी करावा ली गई है अब में गांव के और लोगो को छोटा परिवार सुखी परिवार का महत्व बता रही हूं। कार्यक्रम में न्यूट्रीशन चैम्पियन सोमन शर्मा ने कहा कि मै दो साल से इस गांव में कुपोषण पर काम कर रही है आदिवासी परिवारों में वहा ज्यादा कुपोषण है जहा शिक्षा का अभाव है साफ सफाई का अभाव है एवं जहा बच्चों की संख्या अधिक है वहा वह अपने बच्चों के पालन पोषण पर ध्यान नही दे पाते है और उनके बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते है। किशोरी बालिका मुस्कान यादव ने कहा कि भारत की जनसंख्या का अनुमान वृद्धि दर के आधार पर लगाया जा रहा है। भारत का भी जनसंख्या विस्फोट में महत्वपूर्ण योगदान है। हमारे देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना चाहिए। जिससे देश में जनसंख्या नियंत्रित हो सके। कहा जाता है कि किसी भी चीज की अति बुरी होती है। फिर चाहे वह किसी देश आर्थिक समस्या हो या जनसंख्या की समस्या दोनों ही किसी देश के लिए घातक होती है। अगर हम बात भारत की करते है तो भारत की जनसंख्या का अंदाजा इस बात से कर सकते है कि भारत की जनसंख्या विश्व की दूसरे स्थान पर है। कहा जा रहा है कि वह दिन दूर नहीं है जब भारत चीन को पीछे छोड़ कर दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जायेगा। किशोरी बालिकाओ को  एवं समुदाय को मुस्कान ने समझाया कि जितने लोग होंगे उतना ज्यादा खर्च भी बढ़ेगा। जैसे कि किसी माता.पिता के 5 बच्चे है तो क्या वे अपने सभी बच्चे को अच्छी शिक्षा या सुविधा दे सके। लेकिन इसके विपरीत किसी माता.पिता के एक या दो बच्चे हो तो वह अपने बच्चे की अच्छी परवरिश कर सकते है। और उन्हें अच्छी शिक्षा भी दे सकते है। संस्था द्वारा एक एवं दो बच्चे वाले ऐसे परिवार जिन्होने कि स्थायी परिवार नियोजन अपना लिया है उनमें रामसिया, दुलाई यादव, अनारी आदिवासी, पतोला आदिवासी एवं मीरा आदिवासी को उपहार एवं एक एक पौधा देकर उनको सम्मानित किया जिससे कि गावं के अन्य परिवारों में यह सन्देश जाए कि वह अपने परिवार को सीमित रखें। संस्था द्वारा आज सम्मानित होने वाली सभी माताओं से निवेदन किया कि वह अपने विचार एवं अनुभव साझा करें तो सभी परिवार सुखी एवं उनके बच्चे भी स्वस्थ्य है इसके साथ सबने मिलकर छोटे परिवार सुखी परिवार की बात मानी।  कार्यक्रम में पहली बार गर्भवती सपना आदिवासी, करेला आदिवासी एवं रचना आदिवासी  के साथ एक बच्चे वाली माताए, एवं किशोरी बालिकाओ में रानी , खुशबू, चमेली , अन्जली, हेमलता विशाखा , कुन्जा, नन्दनी  एवं रश्मिा ने गांव की अन्य परिवारों को जागरुक करने का निश्चय किया । सुपोषण सखी सन्ता आदिवासी, इग्लिश आदिवासी  एवं भूरी आदिवासी ने कार्यक्रम मे भागीदारी की इसके साथ आंगनवाड़ी सहायिका मुन्नी आदिवासी को भी पौधा देकर सम्मानित किया।

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