राष्ट्रीय खेल दिवस पर धरना प्रदर्शन कर की खेल शिक्षकों की भर्ती की मांग
शिवपुरी। प्रदेश में लंबे समय से लंबित खेल शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रयासरत खेल डिग्री डिप्लोमाधारी युवाओं ने आज राष्ट्रीय खेल दिवस पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर का आयोजन किया और सरकार से खेल शिक्षकों की भर्ती किए जाने की मांग की।
खेल शिक्षा में प्रशिक्षित युवाओं का कहना था कि सरकार खिलाड़ियो से मेडल लाने की उम्मीद तो करती है लेकिन खिलाड़ियो को प्राथमिक शिक्षा से तैयार करने के लिए स्कूलो में खेल शिक्षको की भर्ती नहीं कर रही है। युवाओं ने कहा कि मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जिसने नई शिक्षा नीति को लागू किया है और नई शिक्षा नीति में स्पष्ट उल्लेख है कि प्राथमिक शालाओं से ही खेल और योग शिक्षकों की भर्ती की जाना मगर सरकार खेल शिक्षको की भर्ती नहीं कर रही है। प्रदेश में पिछले 15 साल से खेल शिक्षको की भर्ती नहीं हुई सरकार विभागीय स्तर पर ही शैक्षणिक स्टाफ से खेल गतिविधियो का संचालन कर रही है जिससे खेल और खिलाड़ी दोनों की गुणवत्ता खराब हो रही है। युवा खेल एवं शारीरिक शिक्षा संघ के प्रदेश सचिव वेदप्रकाश गौड़ ने बताया हम सभी युवाओ के समक्ष सबसे बड़ा संकट इस समय ओवर एज होने का है यदि आने वाले दिनो में भर्तियां नहीं आई तो हममें से कई युवा ऐसे हैं जो ओवर एज हो जायेंगे फिर ये डिग्री डिप्लोमा हमारे किसी काम के नहीं रहेंगे।
आज धरना देने वालो में प्रदेश उपाध्यक्ष संस्कार मिश्रा, कोषाध्यक्ष शिवनाथ सिंह वैश, वेदप्रकाश गौड़ प्रदेश सचिव, नेपाल सिंह बघेल प्रदेश मीडिया प्रभारी, जिलाध्यक्ष अनिल प्रताप सिंह चैहान, अभय प्रताप सिंह ब्लाॅक अध्यक्ष पिछोर, केपी सिंह ठाकुर ब्लाॅक सचिव, गिर्राज शर्मा, रोहित पाठक, मृदुल शर्मा, पवन शर्मा, मोहसिन, सौरभ राहोरा, वैभव पाण्डेय, करण ंिसह लोधी, पवन पाराशर, भरत जाटव, विनोद जाटव, मनीष राठौर, गोलू लोधी, मोनू, शाहरूख खान, अभिषेक पाल आदि मौजूद रहे।
हर वर्ष सैंकड़ों विद्यार्थी उत्तीर्ण करते हैं खेल डिप्लोमा बेरोजगार युवाओ ने बताया कि शिवपुरी में प्रदेश का पहला खेल महाविद्यालय खुला है जिससे हर वर्ष सैंकड़ांे युवा डीपीएड का डिप्लोमा इस आस में उत्तीर्ण करते हैं कि उनकी खेल शिक्षकों के रूप में भर्ती होगी मगर पिछले 15 सालांे से प्रदेश में खेल शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है। हर वर्ष खेल डिप्लोमा करने वाले युवा निजी स्कूलों में सेवायें दे रहे हैं मगर पिछले दो साल से कोरोना के चलते निजी विद्यालय भी बंद हैं इस कारण अब युवाओं के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया।

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