आज मुझे अपनी इतिहास पुस्तक "1857 का लोकसंग्राम और रानी लक्ष्मीबाई" के तीसरे संस्करण की पांच लेखक को देय प्रतियाँ प्राप्त हुईं।भारत पुस्तक न्यास से इस पुस्तक का पहला संस्करण 2016 में प्रकाशित हुआ था। दूसरा संस्करण 2017 में आया और अब 2021 में तीसरा संस्करण भी आ गया। डेढ़-पौने दो साल कोरोना काल में खराब न हुए होते तो शायद एक संस्करण और आ गया होता? न्यास के अध्यक्ष श्री गोविंद शर्मा जी और हिंदी संपादक श्री पंकज चतुर्वेदी जी का हृदय से बहुत बहुत आभार व धन्यवाद।

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