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दान के साथ दानी होने का अभिमान त्याग करना ही वास्तविक दान है: नंदिनी भार्गव

शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2021

/ by Vipin Shukla Mama
ग्राम मुढैनी में बह रही है धर्म की गंगा।
ग्राम मुढैनी मैं हुआ कृष्ण जन्म।
कृष्ण जन्म के साथ ही ग्राम मुढैनी बना धाम।
वैराग्य से मर्यादा और मर्यादा से भक्ति का प्राकट्य होता है
शिवपुरी। ग्राम मुढैनी में श्री हनुमान मंदिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन चल रहा है। आज कथा के चौथे दिन भगवान वामन अवतार की कथा का बाल योगी नंदिनी भार्गव ने बड़े आध्यात्मिक ढंग से कथा का 
श्रवण कराया, उन्होंने बताया कि बावन भगवान राजा बलि के पास आए और बलि ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया ।सर्वस्य मैं दो शब्द छुपे हुए हैं एक सर्व और एक स्व,अर्थात सर्व का अर्थ है सब कुछ है और स्व का अर्थ है स्वयं से अर्थात सब कुछ तो कोई भी दे सकता है किंतु सब कुछ के अलावा जो खुद को भगवान के प्रति समर्पित कर दें तो भगवान उससे तुरंत प्रसन्न होते हैं ,दान तो हम सभी देते हैं किंतु दान के साथ दानी होने के अभिमान का त्याग करना ही वास्तविक दान कहलाता है ,ऐसा ही सर्वस्व दान बली ने किया। चौथे दिन की कथा में आज कृष्ण जन्म बड़ी धूमधाम से मनाया गया कथावाचक नंदिनी भार्गव ने अपने साथ पधारे भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत के कलाकारों के साथ कथा का वाचन किया ।कथा में श्रोताओं की संख्या हर दिन बढ़रही है, और दूर-दूर से आकर कथा प्रेमी व्यस्तता के बीच में भी समय निकालकर कथा का रसपान करने पहुंच रहे हैं आज बड़ी धूमधाम से कृष्ण जन्म एवं अन्य प्रसंग बड़े ही रोचक एवं आध्यात्मिक तरीके से सुनाए गए श्रोता आनंद में नाचने लगे एक बार तो ऐसा एहसास होने लगा कि कथा प्रांगण ही मथुरा वृंदावन गोवर्धन बन गया। उन्होंने बताया रामकथा से जीवन में मर्यादा आती है ,और शिव कथा से जीवन में वैराग्य आता है ,और कृष्ण लीलाएं ऐसी टेढ़ी-मेढ़ी है कि इन्हें समझने के लिए मर्यादा और वैराग्य दोनों जरूरी है, कृष्ण जन्म के पूर्व शिव कथा आती है फिर राम कथा आती है और फिर कृष्ण कथा, अर्थात वैराग्य से मर्यादा और मर्यादा से भक्ति का प्राकट्य होता है।

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