इस वर्ष इस पर्व की तिथि 14 और 15 नवंबर पर मतभेद है
*शास्त्र संगत अनुसार गृहस्थियों को 14 नवंबर और संन्यासियों को 15 नवंबर को यह पर्व मनाना चाहिए
डॉ विकासदीप शर्मा
श्री मंशापूर्ण ज्योतिष शिवपुरी
शिवपुरी। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन चार माह की निद्रा के बाद भगवान विष्णु आज के दिन जागते हैं और अपना कार्यभार संभालते हैं.
उदयातिथि में 14 या 15 नवंबर कब रखा जाएगा
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को *देवउठनी एकादशी* के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन चार माह की निद्रा के बाद भगवान विष्णु आज के दिन जागते हैं और अपना कार्यभार संभालते हैं. आज से श्री हरि सृष्टि का संचालन करते हैं. इस साल देवोत्थान एकादशी 14 नवंबर के दिन पड़ रही है. एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. सभी व्रतों में एकादशी का व्रत काफी कठिन होता है.
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है. भगवान विष्णु के निद्रा से जागने के बाद से आज के दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. इतना ही नहीं भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
देव उठानी एकादशी शुभ मुहूर्त 2021
*एकादशी तिथि का प्रारम्भ* - 14 नवम्बर, 2021 को प्रातः 05 बजकर 48 मिनट से.
एकादशी तिथि का समाप्त- 15 नवम्बर, 2021 को प्रातः 06 बजकर 39 मिनट पर.
देवोत्थान एकादशी व्रत नियम
- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया है. साल भर में 24 एकादशी पड़ती हैं और सभी में चावल खाने की मनाही होती है. कहते हैं कि एकादशी के दिन चावल खाने से अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म मिलता है.
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के साथ ही खान-पान, व्यवहार और सात्विकता का पालन करना चाहिए. . ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करे।
- कहते हैं कि एकादशी के दिन अगर आप व्रत रख रहे हैं तो इस दिन खुद को लड़ाई-झगड़े से दूर रखें और कठोर शब्दों का पालन न करें.
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और शाम के समय भी सोने की मनाही होती है. इस दिन भगवान विष्णु की अराधना करनी चाहिए.
एकादशी के दिन करें ये कार्य
- धार्मिक मान्यता है कि एकादशी के दिन दान करना उत्तम होता है. गंगा स्नान का महत्व है । चावल खाना निषेद है ।यह व्रत पूर्वजो को मोक्ष्य की प्राप्ति भी कराता है। कार्यो में आ रही बाधाओं से मुक्ति के लिए केला, हल्दी और केशर का दान करे ।
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