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धन तेरस आज, सज गए बाजार, पूजन विधि

सोमवार, 1 नवंबर 2021

/ by Vipin Shukla Mama
 पण्डित विकासदीप शर्मा, श्री मंशापूर्ण ज्योतिष शिवपुरी
शिवपुरी। धनतेरस की पूजा दीपावली के पहले कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन कंल 02 11 2021 मंगलवार के दिन है। 5 दिनी त्यौहार दिवाली की शुरुआत भी आज से होने जा रही है। बाजार सज धजकर तैयार हैं। इलेक्ट्रॉनिक, ऑटो मोबाइल,  आभूषण, वस्त्र, मशीनरी से लेकर अन्य बाजार चमकेगा जबकि धनतेरस पर बर्तन के बाजार भी खूब चलने की उम्मीद है।  इस दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा की जाती है साथ हीं यमराज के लिए घर के बाहर दीप जला कर रखा जाता है जिसे यम दीप कहते हैं। कहा जाता है की यमराज के लिए दीप जलने से अकाल मृत्यु का भय नष्ट हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन के बाद, धनवंतरी जी, अमृत के कलश हाथ मे धारण किये हुए समुद्र से बाहर आए थे । 
इस कारण धनतेरस को धनवंतरी जयंती भी कहा जाता है। धनतेरस के इस शुभ दिन, देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और प्रार्थना की जाती है कि भक्तजनों पर माँ हमेशा समृद्धि और सुख की वर्षा करते रहे।
इस दिन भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों भी बाजार से खरीदी जाती है जिसका पूजन दीवाली के दिन किया जाता है। धनतेरस पूजा में सबसे पहले संध्या को यम दीप की पूजा की जाती है उसके बाद भगवान धन्वन्तरि की पूजा होती है और फिर गणेश लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
 यम दीप पूजन विधि
चौकी को धो कर सुखा लें। उस चौकी के बीचोंबीच रोली घोल कर 卐(स्वास्तिक या सतिया) बनायें। अब इस 卐(स्वास्तिक या सतिया) पर सरसों तेल का दीपक (गेहूँ के आटे से बना हुआ) जलायें। उस दीपक में छेद वाली कौड़ी को डाल दें। अब दीपक के चारों ओर गंगा जल से तीन बार छींटा दें। अब हाथ में रोली लें और रोली से दीपक पर तिलक लगायें। अब रोली पर चावल लगायें। अब दीपक के अंदर थोड़ी चीनी/शक्कर डाल दें। अब एक रुपए का सिक्का दीपक के अंदर डाल दें। दीपक पर फूल समर्पित करें। 
सभी उपस्थित जन दीपक को हाथ जोड़कर प्रणाम करें - "हे यमदेव हमारे घर पे अपनी दयादृष्टि बनाये रखना और परिवार के सभी सदस्यों की रक्षा करना।" फिर सभी सदस्यों को तिलक लगाएँ। अब दीपक को उठा कर घर के मुख्य दरवाजे के बाहर दाहिनी ओर रख दे (दीपक का लौ दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए)।
 धन्वन्तरि पूजन विधि
यम दीप की पूजा के बाद धन्वन्तरि पूजा की जाती है। अब पूजा घर में बैठ कर धूप, दीप (घी का दिया मिट्टी की दिये में), अक्षत, चंदन और नैवेद्य के द्वारा भगवान धन्वन्तरि का पूजन करें। पूजन के बाद धन्वन्तरि के मंत्र का 108 बार जप करें:- “ॐ धं धन्वन्तरये नमः” जाप के पूर्ण करने के बाद दोनों हाथों को जोड़कर प्रार्थना करें कि - “हे भगवान धन्वन्तरि ये जाप मैं आपके चरणों में समर्पित करता हूँ। कृप्या हमें उत्तम स्वास्थ प्रदान करे।“ धन्वन्तरि की पूजा हो जाने पर अंत में  लक्ष्मीजी का घी का दीपक जला कर पूजन करें ताकि श्रीलक्ष्मीजी की कृपा अदृश्य रूप में आपके घर परिवार पर वर्षभर बनी रहे।
आवश्यक सामग्री
एक आटे का दीपक, तीन मिट्टी के दीपक (धन्वन्तरि, यम और लक्ष्मी जी के लिये), बत्ती रूई की, सरसों का तेल/घी, माचिस, एक छेद वाली कौड़ी, फूल, चावल, रोली, गंगाजल, चम्मच, चीनी/शक्कर, आसन, मिठाई/नैवैद्य, धूप और धूपदान तथा एक चौकी।

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