शिवपुरी। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में भगवान श्रीकृष्ण ने गाजियाबाद जिले के मुराद नगर के गांव शमशेरपुर में अपने परम
भक्त के यहां नरसी का भात दिया था। 15वीं शताब्दी में गुजरात निवासी नरसी मेहता भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे। उनकी बेटी ने अपनी पिता नरसी से अपनी बेटी का भात देने के लिए कहा था। नरसी अपनी मंडली के साथ खाली हाथ भात देने के लिए गांव शमशेरपुर आ गए। बुजुर्ग बताते हैं कि तब नरसी ने भगवान श्रीकृष्ण को याद किया। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को खुद ही भात आना पड़ा। भात देते समय एक घंटे तक सोने की बारिश हुई थी। आज 21वी सदी है लेकिन यादों के बीच नरसी के भात की याद इसलिये ताजा हुई कि MP के शिवपुरी जिले की बदरवास तहसील के ग्राम एजवारा में ठीक इसी तर्ज पर आज गाँव भर को भात पहनाया गया है। भगवान कृष्ण तो नहीं लेकिन उन्ही की तर्ज पर इस ग्राम की एक गरीब कन्या के घर उसी के नानाजी के शिष्य ने पूरे ग्राम कोभात पहनाकर ऐसी अनूठी मिसाल पेश की है जो सदियों याद रखी जायेगी। दरअसल इस ग्राम में थान सिंह यादव की सुपुत्री का विवाह था। जिसके मामा नहीं थे और नाना जी सालों पहले संत हो गए थे। जब विवाह तय हुआ तो लड़की की माँ अपने संत भाई के पास यूपी पहुंची और भात देने की गुहार लगाई लेकिन उन्होंने संत और हालात की दुहाई देकर ऐसा करने से इंकार कर दिया। लेकिन जब यह बात संत के एक फुटवियर व्यवसाई शिष्य मिस्टर सिंघल को पता लगी तो उन्होंने संत से इजाजत ली कि वह मामा की कमी पूरी करेगा भात लेकर जाएगा तो वह ग्राम आ पहुंचा। 8 तोले सोना, 1 किलो चांदी और पूरे ग्राम के लिये नगदी कपड़े साड़ी गमछे लेकर व्यवसाई ग्राम पहुंचा। एक एक व्यक्ति को अपने हाथों भात पहनाया तो यह खबर आग की तरह जिले में वायरल हो गई। लोग भगवान कृष्ण के नरसी भात से इसकी तुलना करते नजर आए। हालांकि व्यवसाई ने कहा कि वह इस तरह चर्चित होना नहीं चाहते बल्कि किसी की मदद कर के उन्हें खुशी हो रही है और देखा जाए तो उन्होंने अपने संत की कृपा से यह सद्कार्य किया है।
भक्त के यहां नरसी का भात दिया था। 15वीं शताब्दी में गुजरात निवासी नरसी मेहता भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे। उनकी बेटी ने अपनी पिता नरसी से अपनी बेटी का भात देने के लिए कहा था। नरसी अपनी मंडली के साथ खाली हाथ भात देने के लिए गांव शमशेरपुर आ गए। बुजुर्ग बताते हैं कि तब नरसी ने भगवान श्रीकृष्ण को याद किया। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को खुद ही भात आना पड़ा। भात देते समय एक घंटे तक सोने की बारिश हुई थी। आज 21वी सदी है लेकिन यादों के बीच नरसी के भात की याद इसलिये ताजा हुई कि MP के शिवपुरी जिले की बदरवास तहसील के ग्राम एजवारा में ठीक इसी तर्ज पर आज गाँव भर को भात पहनाया गया है। भगवान कृष्ण तो नहीं लेकिन उन्ही की तर्ज पर इस ग्राम की एक गरीब कन्या के घर उसी के नानाजी के शिष्य ने पूरे ग्राम कोभात पहनाकर ऐसी अनूठी मिसाल पेश की है जो सदियों याद रखी जायेगी। दरअसल इस ग्राम में थान सिंह यादव की सुपुत्री का विवाह था। जिसके मामा नहीं थे और नाना जी सालों पहले संत हो गए थे। जब विवाह तय हुआ तो लड़की की माँ अपने संत भाई के पास यूपी पहुंची और भात देने की गुहार लगाई लेकिन उन्होंने संत और हालात की दुहाई देकर ऐसा करने से इंकार कर दिया। लेकिन जब यह बात संत के एक फुटवियर व्यवसाई शिष्य मिस्टर सिंघल को पता लगी तो उन्होंने संत से इजाजत ली कि वह मामा की कमी पूरी करेगा भात लेकर जाएगा तो वह ग्राम आ पहुंचा। 8 तोले सोना, 1 किलो चांदी और पूरे ग्राम के लिये नगदी कपड़े साड़ी गमछे लेकर व्यवसाई ग्राम पहुंचा। एक एक व्यक्ति को अपने हाथों भात पहनाया तो यह खबर आग की तरह जिले में वायरल हो गई। लोग भगवान कृष्ण के नरसी भात से इसकी तुलना करते नजर आए। हालांकि व्यवसाई ने कहा कि वह इस तरह चर्चित होना नहीं चाहते बल्कि किसी की मदद कर के उन्हें खुशी हो रही है और देखा जाए तो उन्होंने अपने संत की कृपा से यह सद्कार्य किया है।

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