लुकवासा। अगर हम परमात्मा से प्रेम करें और परमात्मा के प्रति हमारा अगर सच्चा अनुराग हो तो भरत जैसा होना चाहिए क्योंकि कभी भी भरत जी ने भगवान की इतनी भक्ति की इतना प्रेम किया कभी कुछ नहीं मांगा और भरत जी ने ने स्वयं भगवान को दुखी देख कर के नंदीग्राम में रहना प्रारंभ कर दिया अयोध्या के सिंहासन पर भरत जी नही बैठे भगवान के विरह में दुखी होकर के भरत जी ने किसी भी सुख को नहीं भोगा इसलिए परमात्मा के प्रेम हो तो सच्चा होना चाहिए परमात्मा से प्रेम करो तो अंदर से करना चाहिए बाहर का प्रेम परमात्मा को प्राप्त नहीं करवा सकता यह प्रवचन लुकवासा के समीप ग्राम आनंदपुर में चल रही रामकथा के षष्टम दिवस पर श्री राम कथा प्रवक्ता ब्रज भूषण महाराज ने अपने श्री मुख से कहे और उन्होंने बताया कि भक्ति के द्वारा परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है आचार्य जी ने श्री राम वन गमन के सुंदर प्रसंगों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया और बताया कि बाल्मीकि मुनि से भगवान ने रहने के स्थान पूछे तो वाल्मिक ऋषि ने बताया कि हे भगवान जिनके हृदय में कपट नहीं है दूसरे के प्रति बुरा भाव नहीं है ऐसे व्यक्तियों के ह्रदय में भगवान आप जाकर के निवास करो फिर बाल्मीकि जी ने उनको चित्रकूट धाम बताया जहां पर जाकर के भगवान ने निवास किया दशरथ जी का स्वर्ग गमन कहा भरत जी के आगमन की कथा कही और भरत जी ने जिस प्रकार से भगवान की चरण पादुका लेने के लिए गए हैं वह समस्त प्रसंग विस्तारपूर्वक कहे और आचार्य ने कहा कि रामकथा जीवन को सुंदर बनाती है जीवन जीने की कला भगवान कथाएं हमको सिखाती है कि सदैव अपने धर्म के मार्ग पर चलते रहना चाहिए इस कथा का आयोजन समय ग्राम वासी अनंतपुर वाले करवा रहे हैं आयोजन 26 जनवरी तक होगा।

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