ग्वालियर। दिनाँक 14/03/2022।
उदभव संस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान के नवीन प्रकल्प " उदभव साहित्यिक मंच" की मासिक गोष्ठी होली की पूर्व संध्या पर वरिष्ठ एवं मूर्धन्य साहित्यकार आचार्य जगदीश तोमर की अध्यक्षता में एवं वरिष्ठ साहित्यकार, शिक्षाविद डॉ. भगवान स्वरूप चैतन्य के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुई। सर्वप्रथम अथितियों द्वारा माँ सरस्वती का माल्यार्पण कर गोष्ठी का शुभारंभ किया गया। जगदीश गुप्त द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. केशव पांडेय एवं सचिव दीपक तोमर द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश तोमर एवं लोकमंगल साहित्य पत्रिका के सम्पादक एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. भगवान स्वरूप चैतन्य का शाल श्रीफल से सम्मान किया गया I अपने उद्बोधन में डॉ. केशव पांडेय ने साहित्यिक मंच के आगामी कार्यक्रमों के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि उदभव अपने अन्य कार्यक्रमों की तरह ही, उदभव साहित्यिक मंच के माध्यम से नगर मे साहित्यिक के विशिष्ट आयोजन करेगा।
गोष्ठी का प्रारम्भ करते हुए नयन किशोर श्रीवास्तव ने पढ़ा
"इंतजार में बीत गया है यह जमाना
अबकी होली पे तुम आ जाना "
आँख से तुम देख लो क्या हो रहा है
आजकल आदमी खुद बीज विष के बो रहा है।
शील सौम्यता स्नेह समता का रंग घोल
एकता की पिचकारी हाथ थम लीजिये
भर दो उमंग अंग अंग में भी हो तरंग
ढंग जीने का जिन्दगी का ललाम कीजिये
राह तुम इस तरह निकाला करो मत
इस जमाने की नजर अच्छी नहीं
किंकर पाल सिंह जादोन ने सुनाया
खुल गए है आज सुधि के बंद दरवाजे
यार के उपहार ले कर आ गई होली
आए जब गाँव में साजन
करा दे प्रीत सम्मेलन
बज उठे पाँव पैजनियाँ
वरिष्ठ नवगीतकार ब्रजेश चंद्र श्रीवास्तव ने पढ़ा
सम्बोधन की जगह किसी ने हर सिंगार लिखा
लगा की जैसे अन्तर्मन में पलता प्यार लिखा।
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भगवान स्वरूप चैतन्य ने पढ़ा
हिन्दी माता भारती के भाल की सुहाग बनी
हिन्दी आज मातृ भू की माँग का सिंदूर है
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे जगदीश तोमर ने
गोष्ठी का समापन इस तरह किया
एक भरा पूरा दिन मिला है मुझे
जोड़ना चाहता हूँ उसे विश्व की दैनंदिनी में।
इन्होंने भी किया रचना पाठ
गोष्ठी में श्रीमती लाजवंती , रामराजेश दीक्षित, ब्रजकिशोर दीक्षित ने भी रचना पाठ किया। गोष्ठी का संचालन सुरेन्द्रपाल सिंह कुशवाहा एवं आभार संस्था के सचिव दीपक तोमर ने किया | उक्त अवसर पर श्रीमती रजनी तोमर, राजेन्द्र मुदगल, इंदर सिंह कुशवाहा,अरविंद जैमिनी, सुरेश वर्मा आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।

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