प पू डॉ केशव बलिराम हेडगेवार को कोटिशः नमन
शिवपुरी। प_पू_डॉ_केशव_बलिराम_हेडगेवार
लो श्रद्घांजलि राष्ट्र-पुरुष
शतकोटी ह्र्दय के कंज खिले है।
आज तुम्हारी पूजा करने
सेतु हिमाचल संग मिले है।
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी डा. केशव बलिराम हेडगेवार जिन्होंने अपना समूचा जीवन हिंदू समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित किया उनकी आज जयंती है। डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी का जन्म 1 अप्रैल, 1889 को नव वर्ष गुड़ीपड़वा के दिन नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा नागपुर में हुई और फिर कलकत्ता से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर हिंदू समाज के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया । विद्यार्थी जीवन में ही क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आकर आजादी की लड़ाई में भाग लिया ।
प.पू.डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी को ध्यान आया की आजादी प्राप्त हो भी गई तब हम पुनः गुलाम नहीं होंगे इसकी क्या गारंटी है । तब विचार किया कि आजादी को कायम रखने के लिए समाज को सशक्त व संगठित करना होगा इसी कारण उन्होंने यहां के मूल समाज अर्थात हिंदू समाज को संगठित करने का संकल्प लिया । प.पू. डॉक्टर जी ने ‘हिंदुत्व’ व ‘भारत’ की खोई हुई अस्मिता को पुनर्स्थापित कर भारत माता को पुनः विश्व गुरु बनाने के लिए 1925 में ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की स्थापना कर दी । वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अनुसांगिक संगठन विश्व के सबसे बड़े संगठनों के रूप में प्रतिष्ठित है।
कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के माध्यम से धर्म के लिए लड़ने की जो शिक्षा दी वैसी ही प.पू.डॉ हेडगेवार जी ने संघ की शाखा के माध्यम से स्वयंसेवकों के मन में राष्ट्रभक्ति की अग्नि को प्रज्वलित किया । आज भी "पूर्ण करेंगे हम सब केशव,वह साधना तुम्हारी" इन पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए 97 वर्षों के बाद भी लाखों कार्यकर्ता अपना तन-मन-धन देकर भारत माता को परम वैभव पर ले जाने के लिए राष्ट्रयज्ञ में अपनी आहुति देकर कार्य करने में लगे हैं । प.पू. डॉ केशव बलिराम हेडगेवार की बारे में कुछ कहना सूर्य को दिया दिखाने जैसा है उनके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है । युगदृष्टा युगपुरुष डॉक्टर जी के बारे में अंत में यह कहना ही ठीक है।
पथ पर चलते चलते ही वह राह बन गया,
तिल-तिल कर जलते जलते ही दाह बन गया,
वह कैसा था भक्त स्वयं भगवान बन गया
कुम्भकार की कीर्ति बन निर्माण बन गया ।
प पू डॉ केशव बलिराम हेडगेवार को कोटिशः नमन
भारत माता की जय।।
(संकलन)

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