
धमाका साहित्य कॉर्नर: बज्मे उर्दू मासिक काव्य गोष्ठी मई 2022 संपन्न
शिवपुरी। शहर की साहित्यिक संस्था बज्मे उर्दू की मासिक काव्य गोष्ठी गत दिवस गांधी सेवा आश्रम में आयोजित की गई। राम पंडित के आतिथ्य एवं डॉ मुकेश अनुरागी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस काव्य गोष्ठी का संचालन सत्तार शिवपुरी ने किया, उन्होंने कहा, ‘‘मैं ईश्वर, भगवान, गॉड, खुदा के नाम से इस संगोष्ठी का आरंभ करता हूं जो सर्व शक्तिमान और रहमान है‘‘।राधेश्याम परदेसी ने भावपूर्ण रचनाएं पढ़ी जो बहुत सराही गई उनकी एक गजल का शेर देखें, ‘‘दिल डूब गया गम में अब निशां भी नहीं ए जिंदगी अब तेरा कोई मुकां भी नहीं‘‘ राम पंडित लिखते हैं ‘‘ऐसा मंजर भी हमें बड़ी सीख देता है जब भिखारी भी भिखारी को भीख देता है‘‘ उन्होंने एक कॉमेडियन गीत भी पढ़ा देखें ‘‘तुम इतना जो बड़बड़ा रही हो क्यों नाक भौहें चढ़ा रही हो‘‘ विनय प्रकाश नीरव लिखते हैं, ‘‘बना कर देश का नक्शा किसानों के पसीने से मैं उस पर रोटियां खेत और खलिहान लिखता हूं‘‘ वही सत्तार शिवपुरी ने कहा, ‘‘खूब उल्लू बना दिया मुझको कितना अच्छा सिला दिया मुझको रोटियां कर्ज लेकर खाता हूं मेरी किस्मत ने क्या दिखा दिया मुझको‘‘ शकील नश्तर को देखें आप लिखते हैं, ‘‘दिया सवाल का मैंने सवाल ही से जवाब के फितनागर को मुझे लाजवाब करना था‘‘ विनोद अलबेला ने अपने अलबेले अंदाज में कहा, ‘‘जंगलों के डाकू अब शहरों में आ गए हैं, जंगलों के सारे पेड़ सड़कों पे आ गए हैं‘‘ रामकृष्ण मौर्य ने संतुष्टि भाव से कहा, मुझे जिंदगी से न कोई गिला है, के हर शह खुदा की सभी को मिला है‘‘ अजय अविराम ने हाई क्यू पढ़े उन्होंने कहा, ‘‘खड़ी सामने जो मौत से बात हो डरे वो नहीं, आंखें मिलाई मौत भी मुस्कुराई मरे वो नहीं‘‘ डॉ मुकेश अनुरागी ने कहा, ‘‘मन की अनव्याही अभिलाषा तोड़ रही दम है, उस पर ये उपदेश कि जीवन कितना अनुपम है‘‘ डॉ मुकेश अनुरागी ने बज्म को संबोधित करते हुए कहा हमें समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए और समय की मांग को देखते हुए हमें समाज को स्वस्थ साहित्य ही परोसना चाहिए, सत्तार शिवपुरी ने सभी साहित्यकारों का आभार प्रदर्शित करते हुए शुक्रिया अदा किया।

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