शिवपुरी। व्यक्ति का जीवन सरल होना चाहिए। भगवान का मिलना उठना कठिन नहीं जितना सरल होना। जो सरल है वह तरल है। यह बात कोलारस तहसील के ग्राम चिलावद में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास पंडित लक्ष्मीनारायण शास्त्री ने कहीं उन्होंने कहा कि भागवत जी कहती है कि धन्य वह नहीं जिसके पास धन दौलत अधिक हो। धन्य तो वह है जो निर्धन होते हुये ठाकुर का चिन्तन, भक्ति करे।ऐसे भक्तों पर मेरे ठाकुर की कृपा सदैव रहती है। सुदामा निर्धन जरूर थे लेकिन उनके साथ गोविंद का नाम हर समय था। उन्होंने कहा कि मनुष्यों का क्या कर्तव्य है इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है। विडंबना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं। निष्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं। उन्होंने कहा कि बुद्धिमान व्यक्ति वही है, जो ज्ञान की हर बात को ग्रहण करे और अपने जीवन में अपनाए। महापुरुषों के प्रवचनों पर अमल करने से हमें परम सुख की प्राप्ति होती है, वहीं सत्य के मार्ग पर चलने की भी प्रेरणा मिलती है।उन्होंने कहा कि भागवत कथा में दिए उपदेशों पर चलकर मनुष्य इस कलयुग में ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं। लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है।
कथा के तृतीय दिवस कपिल अवतार, धुव्र चरित्र, नरसिंह अवतार की कथा का विस्तार से वाचन हुआ,कथा विराम पर आरती में पचौरी परिवार , रिश्तेदारों और ग्राम वासियों के साथ सम्मिलित रहा।

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