एसपी राजेश चंदेल की जीप की लाइट जलाकर दी जा सकी मुखाग्नि
शिवपुरी। आखिर शिवपुरी जिले का लद्दाख की बर्फीली वादियों में शहीद हुआ लाल अमर शर्मा पंचतत्व में विलीन हो गया। आने वाली पीढ़ियां उसके भारत देश के लिए बलिदान को भुला नहीं पाएंगी। शुक्रवार की रात जब अमर की पार्थिव देह शिवपुरी पहुंची तो नगर में नौजवानों से लेकर महिला, पुरुष और बच्चे उसे श्रद्धांजलि देने थीम रोड पर एकत्रित थे। एक वीर की शहादत को सलाम करने हर कोई घर छोड़कर सड़कों पर निकल आया था। देश भक्ति के गीतों के बीच गगनभेदी नारे लगाते लोग अमर की अंतिम यात्रा से लेकर गांव में हुई मुखाग्नि तक साक्षी बने। जिला प्रशासन ने इंतजाम किए थे लेकिन ग्राम में देर रात जब अंतेष्टि का समय आया तो हालत ये हुई की उजाला कम पड़ गया, अंधेरा होने के चलते एसपी राजेश चंदेल की जीप की लाइट जलाकर वीर सपूत को मुखाग्नि दी जा सकी। इतना ही नहीं हर आंख नम थी लेकिन जब कुछ लोगों ने मंत्री सुरेश राठखेड़ा को खिलखिलाते देखा तो लोग तरह तरह की बातें करते नजर आए। उनके कुछ फोटो केमरे में भी कैद हुए। पिता बोले, गांव का नाम अमर खरई कर दो, छोटे बेटे को भी भेज दो फौज में
मौके पर जिले के संवेदनशील कलेक्टर अक्षय सिंह और एसपी राजेश चंदेल मोजूद थे। जब दोनों ने अमर के पिता की आंखों से अविरल बहती आसुओं की धार देखी तो वे उन्हें ढांढस बंधाते दिखे। कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह और एसपी राजेश सिंह चंदेल ने ढांढ़स बंधाते हुए उन्हें अपने सीने से लगा लिया। इस दौरान अमर के पिता ने हाथ जोड़कर कलेक्टर से जो अनुरोध किया वह कलेजा कपाने वाला हैं। एक बेटा खोकर भी वे दूसरे बेटे को फौज में भेजने की बात कहते नहीं घबराए। उन्होंने रोते हुए कहा कि उसके परिवार का भरण पोषण करने वाला अब इस दुनिया में नहीं रहा अब वह किसके सहारे जिएंगे। इसलिए मेरे छोटे बेटे को शासकीय नौकरी दिलाई जाए चाहे उसे भी फौज में भेज दो। उन्होंने कहा की खरई गांव का नाम अमर के नाम पर रखा जाए जिसे अमर खरई के नाम से लोग जानें।
अमर के पिता की इस मांग पर कलेक्टर ने कहा ऐसा ही होगा और फिर जनपद अध्यक्ष के पति रघुवीर रावत से प्रस्ताव बनाने के लिए कहा। वहीं मौके पर सरपंच को बुलाकर नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए। परिवार के एक सदस्य को नौकरी और शासन से मिलने वाली सहायता दिलाने को लेकर कलेक्टर ने कहा कि वह प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज देंगे। यह प्रक्रिया शासन स्तर पर ही होनी है।
इतनी भीड़ की जगह कम पड गई
ग्राम खरई भाट में इतने लोग पहुंचे की भारी भीड़ के बीच गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
दहाड़ मारकर बोली गर्भवती पत्नी, पांच माह बाद मेरा शेर वापस आएगा
फूलों से सजे आर्मी के वाहन में अमर शर्मा की पार्थिव देह जैसे ही खौरघार गांव में पहुंची वैसे ही लोगों ने जब तक सूरज चांद रहेगा अमर तेरा नाम रहेगा जैसे नारे लगाने शुरू कर दिए। वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम थीं। परिवार के सदस्यों का भी रो-रोकर बुरा हाल था। माता, पिता और भाई अमर की शहादत को याद कर फफक-फफक रो रहे थे तो वहीं अमर की गर्भवती पत्नी रोते-रोते ताबूत पर गिर पड़ीं जिन्हें सेना के जवानों ने संभाला और परिजनों के सुपुर्द किया। इस दौरान उनकी पत्नी ने चीखते हुए कहा कि मेरा शेर कहीं नहीं गया, पांच माह बाद फिर वह मेरे पास आएगा। उनकी इस बात को सुनकर हर किसी का दिल पसीज गया। अंत में अमर के भाई ने उनके नश्वर शरीर को मुखाग्रि दी और कुछ ही देर में अमर का शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया।
अंतिम संस्कार स्थल पर बनेगा शहीद पार्क
भारतीय पूर्व सैनिक संगठन इंडियन वेटरन ऑर्गेनाइजेशन के जिलाध्यक्ष रिटायर्ड कैप्टन सीपी शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि शिवपुरी जिले में इंडियन आर्मी का यह पहला जवान है जिसने ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाई है। इंडियन आर्मी ही देश की आर्मी है बांकी फोर्स केन्द्रीय एजेन्सियों में आती हैं इसलिए शिवपुरीवासियों को अमर शर्मा की शहादत को हमेशा अपने मन में सजोकर रखें।
इसलिए जवान की अंत्येष्टि के लिए खौरघार में तीन बीघा सरकारी जमीन चयनित की गई थी जिस पर अमर की अंत्येष्टि की गई है यह भूमि इतनी पवित्र हो गई है कि अब इस पर शहीद पार्क का निर्माण कराया जाएगा जिससे अमर हमेशा लोगों को दिलों में अमर रहेगा।
शिवपुरी के लाल शहीद अमर शर्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने मन की भावनाओं को कुछ पंक्तियों में व्यक्त करने की कोशिश की है .
वो अमर था तो अमर हो गया,
शिवपुरी का बेटा सियाचीन में शहीद हो गया,
धन्य हो गया गाँव वो जिसने बेटा अपना खोया है,
नम आँखों से श्रद्धांजलि देता आज शहर उसका रोया है,
एक तरफ़ जब युवा अपनी मदहोशी में खोया है,
एक युवा ये ऐसा है जो तिरंगा ओढ़ के सोया है,
कर्तव्य पथ पर अलबेले कुछ काम अलग कर जाते हैं,
भीड़ पड़ी हैं बाजारों में पर वो नाम अलग कर जाते हैं,
भरी पड़ी थीं खबरें की शिवपुरी नशे के आगे हार गया,
गर्व हुआ की एक युवा था जो सीमा पर बलिहार गया,
फ़र्ज़ हमारा भी बनता है उस परिवार को अब अपना माने,
कोई कमी हो कोई ज़रूरत ख़ुद को अकेला ना जानें,
वो शहीद हो कर क़र्ज़ दे गया अब शिवपुरी वालों तुम जानो,
मैंने अपना बलिदान दे दिया अब मेरे मेरे घर की तुम जानो,
युवाओं में अब क्रांति ला दो सत्कर्मों का बस गान करें,
कुछ अनूठा कर जायें की अपने मात् पिता का मान बनें,
स्वर जो उठा है नीचा ना हो देश ही सबसे प्यारा हो,
मेरे शहर की सड़कों पर अब बस भारत माता का नारा हो !!
जय हिन्द जय भारत 🇮🇳
- अभिषेक दूबे

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