शिवपुरी।भारत में सभी बच्चों के लिये वास्तविक मानव अधिकार के पुनर्विचार के लिये 20 नवंबर को हर वर्ष बाल अधिकार दिवस मनाया जाता है। अपने बच्चों के सभी अधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक बनाने के लिये बाल अधिकार की सुरक्षा के लिये राष्ट्रीय कमीशन के द्वारा 20 नवंबर को सालाना एक राष्ट्रीय सभा आयोजित की जाती है। 20 नवंबर को पूरे विश्व में वैश्विक बाल दिवस (अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस) के रुप में भी मनाया जाता है। बाल अधिकारों के पुनर्मूल्यांकन के लिये विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित करने के द्वारा इस दिन को पूरे विश्व भर में भारत सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सदस्य मनाते है।इसी सन्दर्भ में शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा आदिवासी बस्ती बड़ोदी में बच्चो को सही पोस्टिक पोषण के साथ साथ सही पोषण शिक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जिसमे रवि गोयल ने बताया की बाल अधिकारों के अनुसार बचपन अर्थात् उनके शारीरिक और मानसिक अपरिपक्वता के दौरान बच्चों की कानूनी सुरक्षा, देख-भाल और संरक्षण करना बहुत जरुरी है।प्रतिवर्ष 20 नवंबर विश्व बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इन दिन व्यस्कों के समान ही बच्चों को भी अधिकार दिए जाने का फैसला लिया गया। तब से बाल दिवस, बाल अधिकारों की वर्षगांठ के तौर पर मनाया जाता है। इस वर्ष 14 नवंबर से 20 नवंबर तक बाल अधिकार सप्ताह मनाया जा रहा है। इस दौरान कई तरह के कार्यक्रमों, बच्चों के लिए ओलंपिक, भारत की सभी प्रतिष्ठित इमारतों को नीले लाइट्स से सजाया गया है। विश्व बाल दिवस मनाने की शुरुआत 1954 से हुई। तब इस दिन को सार्वभौमिक बाल दिवस सार्वभौमिक बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता था। 20 नवंबर 1959 के दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों पर कन्वेंशन अपनाया गया था। बाल अधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक करने और बच्चों को समग्र विकास के लिए हर साल इस दिन को मनाया जाने लगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1959 में बाल अधिकारों की घोषणा की। भारत ने इस घोषणा का 11 दिसंबर 1992 को समर्थन किया। पहली बार सरकारों ने वयस्कों की तरह बच्चों के लिए मानवाधिकार तय किए। इस अभिसमय में 54 अनुच्छेद हैं। इन 54 अनुच्छेदों में बच्चों 41 विशिष्ट अधिकार दिये गये हैं। इस अनुच्छेद में पहली बार आर्थिक,सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकार एक साथ दिए गए।बाल अधिकार के अंतर्गत बच्चों को जीवन का अधिकार, भोजन पोषण, स्वास्थ्य, विकास, शिक्षा, पहचान, नाम, राष्ट्रीयता, परिवार, मनोरंजन, सुरक्षा और बच्चों का गैर कानूनी व्यापार शामिल है।
वैसे तो संविधान में 41 बाल अधिकार दिए गए हैं लेकिन इनमें से 16 अधिकार भारतीय बच्चों के लिए बहुत अहम हैं। इसमें जीवन का अधिकार मौलिक अधिकारों में से एक है। इसके अलावा भेदभाव न हो, माता-पिता की जिम्मेदारी, स्वास्थ्य सेवाएं, अच्छा जीवन स्तर, विकलांग बच्चों के लिए उचित व्यवस्था, शिक्षा की व्यवस्था, नशीले पदार्थों से बचाव, दुर्व्यवहार से रक्षा, क्रीड़ा और सांस्कृतिक गतिविधियां, अनाथ बच्चों की रक्षा, बाल श्रमिकों की सुरक्षा, यौन शोषण से बचाव, किशोर न्याय प्रबंधन, यातना-दासता पर रोक आदि अधिकार महत्वपूर्ण हैं। इसके लिए आज संस्था द्वारा समुदाय के कुपोषित बच्चो एवम बालिकाओं के साथ सही पोषण शिवपुरी रोशन जागरूकता अभियान शुरू किया जिसमे की आधा सैकड़ा किशोरी एवम बच्चो ने भाग लिया। प्रोग्राम में आगनवाड़ी कार्यकर्ता रजनी सेन द्वारा बच्चोंको पोषण शिक्षा का महत्व बताया एवम बच्चोंकें माता पिता को जागरूक किया । प्रोग्राम।में किशोरी बालिका बिनीता यादव ने कहा की आज हम अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस पर कार्यक्रम में सम्मिलित होकर अनेक खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेकर अपने आप को खुशनसीब समझ रहे हैं और हम आपसे अपने पोषण पर विशेष ध्यान देंगे और शीघ्र एनीमिया को मात देंगे सही पोषण शिवपुरी रोशन का नाम रोशन करेंगे।

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