जी हां, सूरत के हीरा व्यापारी धनेश - अमी बेन की 9 साल की बेटी देवांशी ने संन्यास ले लिया है। खेलने, कूदने की इस उम्र में सन्यास की बात शायद ही किसी को समझ आए लेकिन हकीकत यही है। दरअसल सूरत के हीरा व्यापारी संघवी मोहन भाई की पोती और धनेश - अमी बेन की 9 साल की बेटी देवांशी के संन्यास का दीक्षा महोत्सव वेसू में 14 जनवरी को शुरू हुआ और आज यानी 18 जनवरी को सुबह 6 बजे से उनकी दीक्षा शुरू हो चुकी है। देवांशी ने 35 हजार से ज्यादा लोगों की मौजूदगी में जैनाचार्य कीर्तियश सूरीश्वर महाराज से दीक्षा ली।
500 किमी. पैदल यात्रा के साथ 357 दीक्षा दर्शन कर चुकी देवांशी ने कभी टीवी नहीं देखी
आपको बता दें कि देवांशी अब तक पांच सौ किमी की यात्रा कर चुकी हैं और 357 दीक्षा दर्शन भी किए। उन्होंने कभी टीवी नहीं देखी। अमी बेन धनेश भाई संघवी ने बताया कि देवांशी जब 25 दिन की थी तब से नवकारसी का पच्चखाण लेना शुरू किया। 4 महीने की थी तब से रात्रि भोजन का त्याग कर दिया था। 8 महीने की थी तो रोज त्रिकाल पूजन की शुरुआत की । 1 साल की हुई तब से रोजाना नवकार मंत्र का जाप किया। 2 साल 1 माह से गुरुओं से धार्मिक शिक्षा ली और 4 साल 3 माह की उम्र से गुरुओं के साथ रहना शुरू कर दिया था। यहां तक कि जैन धर्म में प्रतिबंधित चीजों को कभी इस्तेमाल नहीं किया। न ही कभी अक्षर लिखे कपड़े पहने। देवांशी न केवल धार्मिक शिक्षा बल्कि क्विज में गोल्ड मेडल अर्जित कर चुकी हैं, भरतनाट्यम, योगा में भी वह प्रवीण हैं।
उम्र को छका चुकी देवांशी
देवांशी 5 भाषाओं की जानकार हैं, वह संगीत, स्केटिंग, मेंटल मैथ्स और भरतनाट्यम में एक्सपर्ट हैं। देवांशी को वैराग्य शतक और तत्वार्थ के अध्याय जैसे महाग्रंथ कंठस्थ याद हैं।
देखते ही बनी वर्षी दान यात्रा
सूरत में देवांशी की वर्षीदान यात्रा निकाली गई थी। इसमें 4 हाथी, 20 घोड़े, 11 ऊंट थे। इससे पहले मुंबई और एंटवर्प में भी देवांशी की वर्षीदान यात्रा निकली थी।

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