Shivpuri शिवपुरी। भारत विभिन्न धर्मों जातियों उप जातियों का देश है इसमें शताब्दियों से केवल जैविक पुरुष एवं जैविक महिला के मध्य विवाह को मान्यता दी है विवाह की संस्था न केवल दो विषम लैंगिको का मिलन है बल्कि मानव जाति की उन्नति भी है शब्द विवाह विभिन्न नियमों अभिलेखों लेखों एवं लिपियों में परिभाषित किया गया है सभी धर्मों में केवल विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के विवाह का ही उल्लेख है विवाह को दो अलग लैंगिको के पवित्र मिलन के रूप में मान्यता देते हुए भारत का समाज विकसित हुआ है भारत में विवाह का एक सभ्यता गत महत्व है और एक महान और समय की कसौटी पर उतरी खरी उतरी वैवाहिक संस्थाओं को कमजोर करने के किसी भी प्रयास का समाज द्वारा मुखर विरोध किया जाना चाहिए भारतीय संस्कृति सभ्यता पर सदियों से निरंतर आघात हो रहे हैं फिर भी अनेक बाधाओं के बाद भी वह बची हुई है अब स्वतंत्र भारत में इसे अपनी सांस्कृतिक जड़ों पर पश्चिमी विचारों दर्शनों एवं प्रथाओं के अधिग्रहण का सामना करना पड़ रहा है जो इस राष्ट्र के लिए व्यावहारिक नहीं है
सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को विधि मान्यता देने बाबत अनुरोध पत्र देने के लिए आज बड़ी संख्या मेंक्षत्रिय समाज रजक समाज कुशवाहा समाज प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन शिवपुरी एडवोकेट एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने एकत्रित होकर रोष व्यक्त करते हुए महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम एक ज्ञापन कलेक्टर शिवपुरी को दिया
और आशा की की विवाह जैसी पवित्र व सामाजिक बंधन के साथ यह समाज किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा यदि समलैंगिक विवाह को मान्यता दी जाती है तो संपूर्ण मानव जाति का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा।

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