हिंदी भारतीय जनमानस की आत्मा में बसती है और हर भारतीय के मान, सम्मान और स्वाभिमान की भाषा है। हिंदी भाषा ही नहीं यह भावों की अभिव्यक्ति है। हिंदी मातृभूति पर मिटने की भक्ति है। हिंदी हमारा ईमान और हमारी पहचान है। हिंदी महज एक भाषा ही नहीं बल्कि यह करोड़ों भारतीयों की संस्कृति, सभ्यता, साहित्य और इतिहास को बयां करती है और हमें एकता के सूत्र में पिरौती है। क्योंकि हिंदी सोच बदलने वाली भाषा है। यहि वजह है कि पूरी दुनिया में 80 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है हिंदी। आइए राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर जानते हैं हिंदी का महत्व और उसका देश-दुनिया में बढ़ता प्रभाव
डॉ. केशव पाण्डेय
आज 14 सितंबर गुरुवार को देश भर में राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। प्रत्येक भारतीय के लिए यह बेहद गर्व का दिन है। हिंदी भाषा वक्ताओें की ताकत है, लेखकों का अभिमान है। हमारी आन, बान और शान है हिंदी। हिंदी एक मात्र ऐसी भाषा है जिसे हम जैसा बोलते हैं ठीक वैसे ही लिखते हैं। हिंदी को राष्ट्र की अस्मिता और प्रणम्य का प्रतीक माना जाता है। इसके हर शब्द में गंगा जैसी पावनता और गगन सी व्यापकता है। समुद्र सी गहराई और हिमालय सी ऊॅंचाई है। जो इसे महान बना रही है। यही वजह है कि आज पूरी दुनिया हिंदी का गुणगान कर रही है।
विविधताओं से भरे देश, जहां विभिन्न जाति, धर्म, भाषाएं और बोलियां बोलने वाले एवं विविध वेश भूषा, खानपान व संस्कृति के लोग रहते हैं। ये हिंदी भाषा ही है जो सभी को एकता के सूत्र में बांधती है। देश को एक रखने में हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है। क...ख...ग... प...फ...ब.... शब्द बोलने के ही नहीं इन शब्दों से इतिहास, भूगोल के साथ संस्कृति और सभ्यता का जुड़ाव होता है। शब्दों में अपनापन और रिश्तों के मूल्य होते हैं। यही शब्द संस्कृति और सभ्यता के प्रति सम्मान के साथ ही आदर दर्शाते हैं। अ...आ...इ...ई और च...छ...ज...झ... इन्हीं अक्षरों से बनते हैं शब्द और उनसे ही आकार लेती है हिंदी। इसकी मिठास, सात्विकता और सम्प्रेषण की अचूक शक्ति को समाहित किए हिंदी अपनी समृद्धि से सबको आकर्षित करती जा रही है। संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा घोषित किया था। यह लिपि देवानागिरी है। संविधान के अनुच्छेद 343 में इसका उल्लेख
अतीत की बात करें तों- प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 सितंबर 1953 को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाने का फैसला लिया था। दुनियाभर में हिंदी का प्रभाव जमाने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गॉधी ने 1975 में 10 जनवरी को नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया था।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में विदेश मंत्री के तौर पर संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान दिखाया था और दुनिया में हिंदी का मान बढ़ाया था।
2006 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रतिवर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की थी। ताकि दुनिया भर में हिंदी भाषा को बढ़ावा दिया जा सके।
जबकि आजादी से पूर्व ही राष्ट्रपिता महात्मा गॉधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। ऐसे में हिंदुस्तानियों के लिए हिंदी दिवस का महत्व और भी बढ़ जाता है। हिंदी से ही हमारे समाज और देश का निर्माण हुआ है। बेशक हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा न सही लेकिन राजभाषा अवश्य है। भारत के अलावा फिजी भी एक ऐसा देश है जहां की आधिकारिक भाषा हिंदी है।
अब मौजूदा परिवेश की बात करें तो आधुनिक युग में पूरी दुनिया में हिंदी की धूम मची हुई है। हिंदी एक ऐसी भाषा है जो दुनिया के अनेक देशों में पढ़ी-लिखी और बोली जाती है। अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में भी इसे स्वीकार किया जाने लगा है। लंदन में पढ़ाई जा रही है। जर्मन में हिंदी माध्यम के विद्यालय खुल रहे हैं। भारत का हिंदी साहित्य अमेरिका, लंदन, जर्मन, नेपाल, नार्वें, सहित विभिन्न देशों में अपनी जड़ जमा रहा है।
क्योंकि हिंदी सोच बदलने वाली भाषा है। भाषा का वैभव साहित्य में आता है। साहित्य में हिंदी का दबदबा है। हिंदी साहित्य ही ऐसा है जो हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता से परिचित कराता है। क्योंकि भाषा किसी शहर नहीं आने वाली पीढ़ियों की मार्गदर्शक होती है। यही वजह है कि 3700 वर्ष पहले लिखा गया “ऋग्वेद“ पूरे विश्व की धरोहर है। देश में 17 भाषाओं में साहित्य पाया जाता है। लेकिन हिंदी का बोलबाला है। संस्कृत देववाणी है और हिंदी जनमानस की भाषा है। हालांकि इतने बड़े देश में एक भाषा का होना संभव नहीं है। लेकिन हिंदी निरंतर देश को एकरूपता में पिरौने का काम कर रही है। कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक हिंदी बोलने वाले मिल जाएंगे।
क्योंकि यह सत्य की खोज, अन्वेषण, मानवीय मूल्यों की चर्चा करने वाली भाषा है। हिंदी भाषा जब हृदय से जुड़ती है तब वह सार्थक होती है। हिंदी हिंदुस्तानियों की आत्मा में बसती है। ऐसे में जरूरत है भाषा को उन्नत करने के लिए बेहतर साहित्य की। कारण स्पष्ट है कि जीवन को साश्वत रखने की जो विद्या हो सकती है उसका सरंक्षण आवश्यक है। ऐसे में हिंदी का सरंक्षण जरूरी है। हिंदी ही जो हमारे संस्कारों को कायम रखती है। इस ब्रह्माण्ड में कोई चीज व्यक्ति को अध्यात्म के साथ जुडाव रखती है तो वह है हिंदी।
साहित्य के मामले में हिंदी जितनी समृद्ध है वह आश्चर्यजनक है। यह हिंदी की लोकप्रियता ही है कि आज सबसे ज्यादा समाचार चैनल्स हिंदी में हैं। अब तो विदेशी भाषाओं की फिल्में भी देश में हिंदी में डबिंग कर रिलीज की जा रही हैं। हिंदी से हमारी संस्कृति जुड़ी हुई है। वह हमें यह अहसास कराती है और सभ्यता, संस्कृति, मूल्य और सिद्धांत का पाठ पढ़ाती हैं। हिंदी से जीवन की गहराई मिलती है। फारसी शब्द से जन्मी हिंदी भारत के भाल पर दमकती है।
इस भाषा में अध्यात्म जैसी शक्ति है। हिंदी भाषा में समय के साथ काफी बदलाव हुआ है। इतिहासकारों का मानना है कि हिंदी की पहली रचना एक हजार ईस्वी में खुमान रासो (खम्माण)है। इसके बाद समय के साथ देव रासो और पृथ्वी राज रासो की रचना हुई। तब हिंदी आम जनमानस की भाषा नहीं थी। हिंदी को असल पहचान तो 1450 ईस्वी के बाद तब मिली जब गुरुनानक देव, रैदास, सूरदास एवं कबीर ने हिंदी में कविताएं लिखना शुरू किया। यह वह दौर था जब कबीर की वाणी, सूरदास की सूरसागर और गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 1633 ईस्वी में रचित रामचरित मानस मशहूर हुई। आज हिंदी विश्व में तीसरी ऐसी भाषा है जिसे सबसे ज्यादा लोग बोलते हैं। ताजा आकंडों के मुताबिक वर्तमान में भारत में 43.83 प्रतिशत लोग हिंदी भाषा बोलते हैं। 12 राज्यों में 90 प्रतिशत लोग हिंदी भाषी हैं। वहीं पूरे विश्व की बात करें तो दुनिया में तकरीबन 82 करोड़ लोग ऐसे हैं जो हिंदी बोल और समझ सकते हैं। भारत के अलावा जिन देशों में हिंदी बोली जाती है, उनमें नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, म्यामांर, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, चीन, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, यमन और युगांडा सहित अन्य देश भी शामिल हैं। यही वजह है कि इंटरनेट की दुनिया में भी अब हिंदी का वर्चस्व तेजी से बढ़ रहा है। सबसे रोचक बात यह है कि हिंदी भाषा के इतिहास पर पुस्तक लिखने वाले कोई हिंदुस्तानी नहीं बल्कि फ्रांसीसी लेखक “ग्रेसिम द टैसी“ थे। यह हिंदी की विश्वभर में बढ़ती ताकत का प्रतीक है कि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में “अच्छा“ और “सूर्य नमस्कार“ जैसे कई हिंदी शब्दों को शामिल किया गया है। हिंदी हमारी अभिव्यक्ति की भाषा है। यदि सभी विषयों में उच्चतम पढ़ाई हिंदी में कराई जाए तो भारत को विश्व में महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि दुनिया के दिल में धड़क रही है हिंदी ।

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