शिवपुरी 1 अक्टूबर 2023। विश्व रेबीज दिवस पखवाड़ा दिनांक 30 अक्टूबर से 7 अक्टूबर 2023 तक मनाया जायेगा। जिसका प्रशिक्षण खंड स्तरीय कर्मचारियों को दिया गया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर पवन जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि रेबीज पखवाड़े के अंतर्गत समस्त स्वास्थ्य संस्थाओं में आईईसी के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। स्कूलों एवं पशु चिकित्सा विभाग में भी रेबीज अवेयरनेस की जानकारी दी जाएगी।
भारत में मुख्यतः कुत्तों के काटने से रेबीज होता है, इसके अलावा बिल्ली, नेवले, बंदर या अन्य गर्म खून वाले जानवर के काटने या खरोंच से भी यह रोग फैलता है। रेबीज एक जान लेवा बीमारी है, परन्तु इसकी रोकथाम पूर्णतः संभव है। रेबीज का संक्रमण संक्रमित जानवर के काटने से फैलता है। ज्यादातर मामलों में मनुष्यों में यह बीमारी कुत्ते के काटने या खरोंचने से भी होती है। रेबीज से बचाव के लिये सीएमएचओ डॉ पवन जैन ने कहा कि चिकित्सक की सलाह के अनुसार एन्टीरेबीज टीकाकरण का कोर्स पूरा करें। समय-समय पर पालतू जानवरों का टीकाकरण करवायें। घाव पर सरसों का तेल, मिर्च या अन्य पदार्थ न लगायें एवं अंधविश्वास से बचें। जानवरों को रेबीज से बचाव के लिये पालतू जानवरों में नियमित एन्टी रेबीज टीका लगवायें, उन्हें अपनी निगरानी में रखें, रेबीज जैसे लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी पशु चिकित्सालय में एन्टी रेबीज का टीका लगवायें। पालतू जानवरों को आवारा जानवरों से दूर रखें। समुदाय में रेबीज की रोकथाम के लिये अपने घर के आस-पास और मोहल्ले के पालतू व अज्ञात कुत्तों को भी नियमित तौर से एन्टी रेबीज टीका लगवानें के लिये पहल करें। अगर आस-पास मोहल्ले में जानवर द्वारा काटने की घटनाऐं हो रहीं हों तो तुरंत अपने नजदीकी पंचायत/नगर पालिका अधिकारी को सूचित करें। जानवरों में रेबीज होने के लक्षणों में- जानवरों के व्यवहार में परिवर्तन, भौंकने के स्वर में बदलाव, हाइड्रोफोबिया (पानी का डर) मुॅह से अत्यधिक लार का निकलना, लकवा आना एवं बिना किसी कारण अत्याधिक उत्तेजित होकर काटना सम्मिलित है। मनुष्यों में रेबीज होने के लक्षणों में अज्ञात जानवर से काटने का इतिहास, पानी से डर लगना, वायुभीति शामिल है। रेबीज एक जान लेवा बीमारी है, परन्तु इस बीमारी के प्रति जागरूक होने से इसका प्रतिरोध पूर्णतः संभव है।
रैबीज से बचाव का ऐसे करें उपचार
रैबीज एक जानलेवा बीमारी है लेकिन उपचार संभव है। मनुष्यों को जानवर के काटने के बाद उपचार रूप में सबसे पहले घाव को साबुन और साफ बहते पाने से 15 मिनट तक अच्छी तरह से धोना है। घाव पर उपलब्ध एन्टीसेप्टिक लगाकर घाव को खुला छोड़ना है और टांके नहीं लगाना है, तुरन्त अपने चिकित्सक की सलाह से एन्टीरेबीज और इम्युनोग्लोबिन सिरम का टीका लगवाना है।टीकाकरण करवायें और सुरक्षित रहें।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें