केपी सिंह मप्र विधानसभा में 6 बार के विधायक हैं। एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे कृष्णपाल सिंह को लोग कक्काजु के नाम से जानते हैं।बुन्देलखण्ड में जू आदर सूचक शब्द है।राजनीति में केपी सिंह ने अपना मुकाम खुद अर्जित किया है।छोटे से गांव करारखेड़ा से निकलकर पहले पिछोर के छत्रसाल कॉलेज फिर ग्वालियर के जीवाजी विश्विद्यालय अध्यक्ष से मप्र शासन में कैबिनेट मंत्री के सफर में केपी सिंह ने राजनीति के कई मानक भी गढ़े हैं।विरोधी उन्हें बाहुबली कहकर निशाने पर लेते हैं लेकिन केपी सिंह की राजनीति का अंदाज अलहदा है वे विरोधियों के आरोपों का जबाब नही देते हैं और अपने काम में मस्त रहते हैं।
सातवी बार चुनावी मैदान में शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा से उतरने जा रहे केपी सिंह से स्वदेश ने बातचीत की।
०सातवी बार एक ही विधानसभा से आप कांग्रेस के टिकट पर लड़ने जा रहे हैं।कैसी चुनौती मानते हैं?
०केपी सिंह:जीवन का लगभग आधा हिस्सा चुनावी राजनीति में व्यतीत किया है इसलिए चुनाव को लेकर अब तनाव नही रहता है।मैं अपना 100 प्रतिशत देने का प्रयास करता हूँ।चुनाव आते हैं हम अपना काम सतत रूप से करते रहते हैं इसलिए चुनोती जैसा अहसास कम ही होता है।
०पिछले चुनाव में आपकी जीत का अंतर काफी कम रह गया था क्या इस बार बड़ी चुनौती नही है?
०यह सही है कि 2018 में अंतर कम था लेकिन हर चुनाव की तत्कालीन परिस्थितियों में अंतर होता है।जो पिछले हालात थे वे बीता हुआ कल है मैनें सदैव लोगों के हितों की बात की हैं।सार्वजनिक हित ओर गरीब कल्याण से कभी समझौता नही किया है।जाहिर है कुछ लोग इससे परेशान होते हैं ,मुझे लगता है यही बहुसंख्यक लोगों का मत है।मैं इस बार भी पूर्ण आश्वस्त हूँ।
०आपके विरोधी आपको बाहुबली कहते है?
०बाहुबल की परिभाषा क्या है?क्या गांव में गरीब के पक्ष में खड़ा होना बाहुबल है?जो निर्बल है जो वास्तविक जरूरतमंद है उसकी तरफदारी ओर सार्वजनिक हित की वकालत अगर बाहुबल है तो मुझे भाजपा नेताओं की समझ पर कुछ नही कहना है।वे इस विशेषण को चिपका कर रखें।
०आपको लोधी समाज का विरोधी माना जाता है?
०यह भी पिछोर के बाहर गढ़ी गई कपोल कल्पना है।मेरे हर चुनाव में लोधी समाज मेरे साथ रहता आया है।मैंने जिला पंचायत अध्यक्ष लोधी समाज की महिला बसन्ती लोधी को बनाया था।30 साल में अनेक पंच,सरपंच,जनपद जिला पंचायत सदस्य,मंडी अध्यक्ष जैसे पदों पर हमने लोधी समाज के कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ाकर जिताया है।
मेरे खिलाफ भाजपा हर बार लोधी उम्मीदवार उतारती है इसलिए पिछोर के बाहर यह धारणा बनाई गई है इसका कोई जमीनी आधार नही है।मुझे सभी समाज बिरादरी का समर्थन मिलता है।
०आप इतने सीनियर नेता है इसके बाबजूद पिछली कमलनाथ सरकार में आपको मंत्री क्यों नही बनाया गया?क्या इससे मन में क्षोभ नही हुआ?
केपी सिंह:मैं जबसे राजनीति में हूँ कभी पद के पीछे नही भागा।कभी कोई लॉबिंग नही की।जो सामने रहा उसके साथ न्याय करने का प्रयास किया।बेशक मेरे शुभचिंतको को इससे निराशा हुई होगी पर मुझे नही।जहां से चला हूँ उसे सदैव याद रखता हूँ।मंत्री,विधायक के पद आते जाते रहते हैं जनता का भरोसा सबसे बड़ा पद है।मैं भाग्यशाली हूँ कि पिछले 30 साल से जनता के भरोसे पर खरा साबित हुआ हूँ।तत्समय नेतृत्व को जो उचित लगा होगा उसके अनुरूप निर्णय रहा होगा।
०सिंधिया जी के पार्टी छोडने को कैसे देखते हैं?
केपी सिंह: बहुत सीधी सी बात है।अब कांग्रेस आत्मविश्वास के साथ मप्र में खड़ी है।हम सिंधिया जी के बिना भी अब 2023 में सरकार बनाने जा रहे हैं।
०प्रदेश में कांग्रेस अभी तक टिकट घोषित नही कर पाई है जबकि कमलनाथ ने कहा था कि 6 महीने पहले टिकट दिए जायेंगे।
*केपी सिंह:कांग्रेस में टिकट वितरण की एक मान्य परम्परा है उसी के अनुरूप समय पर टिकट घोषित होंगे।कुछ बातें मीडिया के लिए होती हैं।उपयुक्त समय पर टिकट जारी होंगे।
०क्या परिदृश्य देख रहे हैं आगामी नतीजों को लेकर?
केपी सिंह:प्रदेश का परिदृश्य दीवार पर लिखी इबारत की तरह साफ है।मप्र में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है।जनता भाजपा सरकार और अफसरशाही के कुशासन से त्रस्त हो चुकी है।
०आपकी क्या महत्वाकांक्ष है?
केपी सिंह:राजनीति में कभी इच्छाओं का बोझ लेकर नही चला हूँ।इसलिए यह सवाल मेरे लिए महत्वहीन है।मैं जहां भी रहता हूँ अपने आप से खुश और सन्तुष्ट रहता हूँ।

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