इस पर जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस अमर नाथ ( केश्रवानी) की डिवीजन बेंच ने कहा- अब थोड़ा सुधर जाओ, कहानी बनाना बंद करो । जो काम कहा गया है, उसको निष्ठापूर्वक करिए नहीं तो आप सब खतरे में आ जाएंगे। कलेक्टर को बोल देना कि चुनाव का बहाना बनाकर, हमारे आदेश की अहमियत को नजरअंदाज न करें। समझ में आया। चुनाव प्रक्रिया अपनी जगह है।
इसका मतलब ये नहीं कि आप आम जनता के लिए काम करना ही बंद कर दें? कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कलेक्टर के लिए चुनाव, सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय हो सकता है। लेकिन कोर्ट के लिए आम जनता का स्वास्थ्य और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
मामले की अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी कोर्ट ने न्यायमित्र एडवोकेट पवन द्विवेदी को ग्वालियर, भिंड, मुरैना, दतिया, श्योपुर, शिवपुरी, अशोकनगर, गुना और विदिशा कलेक्टर द्वारा पेश की गई रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए कहा है। इसके आधार पर ही कोर्ट अगली सुनवाई में अंतरिम आदेश पारित करेगा।क्या इनका काम सिर्फ राजनीतिक आकाओं को खुश करना है?
शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मिलावट मामले में तीन एफआईआर दर्ज की गई है। इस पर कोर्ट ने पूछा अधिकारियों ने कितने परिसर सीज किए? संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने कहा कि इन लोगों को लाखों रुपए सैलरी में मिल रहे हैं। पहले सुरक्षा का काम कीजिए। क्या इनका काम केवल राजनीतिक आकाओं को खुश करना है?तुम्हारी हेल्थ अच्छी है, शुद्ध खाना आता होगा घर में!
भिंड के हेल्थ ऑफिसर अवनीश गुप्ता से कोर्ट ने कहा- तुम्हारी हेल्थ अच्छी दिख रही है। खोवा व शुद्ध खाना आता होगा घर में! तुम्हारी सेहत खराब हो जाएगी तो क्या होगा | मुरैना की अधिकारी किरण सेंगर से कहा- घर में शुद्ध भोजन खाना अच्छी बात है। गरीब आदमी अच्छा खाए, ये भी तो आपका कर्तव्य है।क्या पब्लिक सर्वेंट केवल चुनाव कराने के लिए हैं?
कोर्ट ने कहा- कलेक्टर को मिलावट रोकना औपचारिकता या फिर रोजमर्रा का लग रहा है, तो हम उन्हें कोर्ट की भाषा में समझा देंगे। पब्लिक सर्वेंट केवल चुनाव कराने के लिए हैं या फिर जनता के लिए हैं?

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