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शिशु को जन्म के तुरंत बाद पहला पीला गाढ़ा दूध जरूर पिलाए : सुपोषण सखी

सोमवार, 6 नवंबर 2023

/ by Vipin Shukla Mama
शिशुओं के लिए 6 माह तक केवल स्तनपान कराना कई जानलेवा बीमारियो से बचाना ललिता आदिवासी 
शिवपुरी।  बच्चे को कम से कम छह महीने तक मां का दूध पिलाना चाहिए। इसमें एंटीबॉडीज़ होते हैं जो बच्चे को वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। भावी माता-पिता, ध्यान दें। शिशुओं के लिए स्तनपान कराना महत्वपूर्ण है । इसे बच्चे के जीवन के पहले छह महीनों के दौरान प्रशासित किया जाना चाहिए और बाल मृत्यु दर को कम करने के अलावा बच्चे के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करने के लिए इसे दो साल की उम्र तक जारी रखना चाहिए। इसी उद्देश्य को लेकर आज ग्राम मझेरा आदिवासी बस्ती में स्तनपान के महत्व पर गर्भवती माताओं एवम नव दंपती के साथ जागरूकता कार्यक्रम का अयोजन सुपोषण साखिओ के सहयोग से किया जिसमे सुपोषण सखी रचना आदिवासी ने कहा की  स्तनपान बच्चे के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करता है। हमे अपनी अनूठी स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, उनमें से एक समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं से जुड़ी उच्च भेद्यता है, जिनका वजन काफी कम होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 45% बच्चों की मृत्यु का कारण समय पर स्तनपान शुरू नही करना है।  सुपोषण सखी कमलेश ने कहा की  स्तनपान से बच्चे को अस्थमा या एलर्जी होने का खतरा कम हो जाता है। एवम मां के दूध में एंटीबॉडीज होते हैं जो बच्चे को वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। स्तनपान से बच्चे को अस्थमा या एलर्जी होने का खतरा कम हो जाता है। । 6 महीने की उम्र तक विशेष स्तनपान की सलाह दी जाती है। आगनवाड़ी सहायिका ललिता आदिवासी ने कहा की कोई जितना अधिक समय तक दूध पिलाएगा (बहुत कम या कोई फार्मूला नहीं देगा), लाभ उतना ही गहरा और लंबे समय तक चलने वाला होगा। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स पहले छह महीनों के लिए विशेष स्तनपान की सिफारिश करती है और कम से कम पहले साल के बाकी समय तक स्तनपान जारी रखने की सलाह देती है, या यदि माँ और बच्चे की इच्छा हो तो इससे अधिक समय तक स्तनपान जारी रखना चाहिए। संस्था के कोऑर्डिनेटर पिंकी चौहान ने कहा की  स्तनपान करने वाले शिशुओं को फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशुओं की तुलना में संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम होती है। स्तनपान के दौरान, एंटीबॉडी और अन्य रोगाणु-विरोधी कारक मां से उसके बच्चे तक पहुंचते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। इससे बच्चे को कोई भी संक्रमण होने की संभावना कम हो जाती है। कार्यक्रम में शक्तिशाली महिला संगठन टीम से रवि गोयल, साहब सिंह धाकड़,पूजा शर्मा ,पिंकी चौहान के साथ-साथ सुपोषण सखी एवं समुदाय की गर्भवती माता ने भाग लिया।








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