गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों ने बताया कि सोमवार दोपहर 3 बजे थीम रोड स्थित गुरुद्वारे से गुरु नानक जयंती का मुख्य समारोह प्रारंभ हुआ जिसमें पंज प्यारों के साथ-साथ पांच निशान लिए 10 सदस्य केसरिया ताना-बाना में नजर आए। शहर के राजमाता विजया राजे सिंधिया मार्ग से शुरू होकर यह जुलूस नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ शाम 7 बजे वापस गुरुद्वारा स्थल पर पहुंचा जहां आतिशबाजी प्रदर्शन के साथ-साथ कई सांस्कृतिक प्रदर्शन दल में शामिल कलाकारों द्वारा दिखाए गए। सोमवार को जब दोपहर 3 बजे सिख समाज का नगर कीर्तन प्रारंभ हुआ तो इसमें बैंड बाजा के बाद जब बस में विराजमान शाही सवारी निकलने को तैयार हुई तो उसके आगे एक ट्रैक्टर और उसमें लगा पानी का टैंक सड़क की धुलाई करता हुआ चल रहा था। खास बात यह रही कि समाज के महिला पुरुष हाथों में झाड़ और नली लेकर सड़क की सफाई कर रहे थे, ताकि किसी भी तरह से गंदगी का कोई कण उस मार्ग पर न रहे। जिस मार्ग से शाही सवारी निकल रही है। इसके बाद पंज प्यारे और पांच निशान लिए हुए केसरिया ताना-बाना में विशिष्ट जन नजर आए। आयोजन की खास बात यह रही कि ग्रामीण क्षेत्र से बड़ी संख्या में ट्रैक्टर में सवार होकर सिख समाज के लोग आए थे जो इस जुलूस के पीछे सामूहिक रूप से एकत्रित होकर नगर भ्रमण के लिए निकले। जहां-जहां से शाही सवारी निकली वहां-वहां कई लोगों ने आरती उतारकर गुरु नानक देव जी को नमन किया और प्रसाद को भी ग्रहण किया। इस अवसर पर सिख संगत के हजारों लोग महिला पुरुषों के साथ नगर कीर्तन और कार्यक्रम स्थल पर मौजूद देखे गए। अमेरिका रिटर्न पंजाब के कीर्तनकारों ने आयोजन में की भागीदारी, गुरबाणी, शबद, कीर्तन सुनाया।'वाहीवाही पाणी निरंकार है, तित्तव अवर न कोए'
दीवान में कीर्तनकार जत्थे ने गुरुवाणी शबद कीर्तन किया। उन्होंने गुरुवाणी शबद करते हुए कहा- 'वाहीवाही पाणी निरंकार है, तित्तव अवर न कोए' अर्थात् गुरबाणी निरंकार सदस्य है एवं शब्द गुरु है। इसके समान कोई और नहीं है। कलाकारों और ज्ञानी जी ने गुरु नानकदेवजी महाराज के जन्म के समय की स्थिति का वर्णन विस्तारपूर्वक किया। उन्होंने गुरु नानकदेवजी महाराज के तीन सिद्धांत 'किरत करो' अर्थात स्वयं कमाई करो, 'नाम जपो' अर्थात प्रभु परमात्मा का नाम जपना करो और वंड छको' अर्थात बांटकर खाओ के बारे में बताया।

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