Karwa Chauth 2023 : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ का व्रत बेहद फलदायक माना गया है। अपने सुहाग की रक्षा और दीर्घायु की कामना के लिए सुहागन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं। (डॉक्टर सुखदेव नम्रता गौतम)
मान्यता है कि करवा चौथ का पूरे विधि-विधान से व्रत रखने पर अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। आज करवा चौथ के दिन मां गौरी और गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है। (मेडिसिन के थोक विक्रेता अमन अलका गोयल)
करवा चौथ का व्रत स्त्रियों के लिए फलदायक माना गया है यही वजह हैं की शिवपुरी एमपी की निवासी इन खास जोड़ियों के लिए करवा चौथ खास है। (व्यवसाई सुबोध नीलम अरोरा)
अपने पति की रक्षा और लंबी उम्र की कामना के लिए ये सभी करवा चौथ का व्रत हर साल रखती हैं। करवा चौथ का व्रत निर्जला व्रत है, जो बेहद कठिन माना जाता है। (आई स्पेशलिस्ट डॉ गिरीश डॉ ऋतु चतुर्वेदी जी)
करवा चौथ के व्रत की शुरुआत पंजाबी समाज में सरगी से होती है और अन्य महिलाए रात 12 बजे से अन्न जल त्याग देती हैं। इस व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है। (कांट्रेक्टर गिर्राज कुसुम ओझा)
करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रख संध्या के समय शुभ मुहूर्त में व्रत कथा का पाठ करती हैं। फिर चंद्रोदय होने पर चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के पाश्चत्य ही अपना व्रत खोलती हैं।(विनय प्रियंका शर्मा, संचालक शाश्वत फिलिंग स्टेशन पोहरी रोड शिवपुरी)
मान्यता है कि करवा चौथ का पूरे विधि-विधान से व्रत रखने पर अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। आज करवा चौथ के दिन मां गौरी और गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है। (मेडिसिन के थोक विक्रेता अमन अलका गोयल)
करवा चौथ का व्रत स्त्रियों के लिए फलदायक माना गया है यही वजह हैं की शिवपुरी एमपी की निवासी इन खास जोड़ियों के लिए करवा चौथ खास है। (व्यवसाई सुबोध नीलम अरोरा)
अपने पति की रक्षा और लंबी उम्र की कामना के लिए ये सभी करवा चौथ का व्रत हर साल रखती हैं। करवा चौथ का व्रत निर्जला व्रत है, जो बेहद कठिन माना जाता है। (आई स्पेशलिस्ट डॉ गिरीश डॉ ऋतु चतुर्वेदी जी)
करवा चौथ के व्रत की शुरुआत पंजाबी समाज में सरगी से होती है और अन्य महिलाए रात 12 बजे से अन्न जल त्याग देती हैं। इस व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है। (कांट्रेक्टर गिर्राज कुसुम ओझा)
करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रख संध्या के समय शुभ मुहूर्त में व्रत कथा का पाठ करती हैं। फिर चंद्रोदय होने पर चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के पाश्चत्य ही अपना व्रत खोलती हैं।(विनय प्रियंका शर्मा, संचालक शाश्वत फिलिंग स्टेशन पोहरी रोड शिवपुरी)
करवा चौथ पर मृगशिरा नक्षत्र, बुधादित्य योग के साथ शिव-परिघ व सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। वहीं, चंद्रमा अपनी उच्चराशि वृषभ में विराजमान रहेगें। मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय और पति की आयु लंबी होती है।(अमिताभ दीप्ति त्रिवेदी, ऑनर होटल सोन चिरैया)
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि की शुरुआत: रात 09:30, 31 अक्टूबर 2023 से
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि का समापन: रात 09:19, 01 नवंबर 2023 तक
व्रत की अवधि
इस साल करवा चौथ व्रत 1 नवंबर को शुभ योगों में रखा जा रहा है। करवा चौथ 2023 के व्रत की अवधि 13 घंटे 42 मिनट रहने वाली है। सर्योदय के साथ सुबह 6 बजकर 33 मिनट से व्रत का आरंभ होगा, जो रात 8 बजकर 15 मिनट के आस-पास चंद्रोदय पूजन के बाद समाप्त होगा। (सीनियर लीडर बीजेपी हेमंत रवजीत ओझा)
करवा चौथ व्रत पारण कब और कैसे होता है?
इस व्रत में न तो अन्न और न ही जल का सेवन किया जाता है। इस व्रत की शुरुआत जहां ब्रह्म मुहूर्त से होती है वहीं, चंद्र दर्शन और चंद्र पूजा के बाद इसकी समाप्ति होती है। व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजन के बाद ही किया जाता है। वहीं, व्रत पारण के बाद सात्विक भोजन ही करना चाहिए। ( व्यवसाई भईया भईया देवेंद्र अंजली शर्मा)
करवा चौथ पर इन मंत्रो का करें जाप?
करवा चौथ के दिन शिव परिवार और करवा माता की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप जरूर करें। मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
गणेश मंत्र- ॐ गणेशाय नमः
शिव मंत्र- ॐ नमः शिवाय
मां पार्वती जी का मंत्र- ॐ शिवायै नमः
संध्या पूजा विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान आदि कर सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करें। देवी देवताओं को प्रणाम कर व्रत रखने का संकल्प लें। करवा चौथ में विशेष तौर पर संध्या पूजन होता है। शाम से पहले ही गेरू से पूजा स्थान पर फलक बना लें। फिर चावल के आटे से फलक पर करवा का चित्र बनाएं। इसके बजाय आप प्रिंटेड कैलेंडर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। संध्या के समय शुभ मुहूर्त में फलक के स्थान पर लकड़ी का आसन स्थापित करें। (व्यवसाई धीरज किरण उप्पल)
अब चौक पर भगवान शिव और मां पार्वती के गोद में बैठे प्रभु गणेश के चित्र की स्थापना करें। मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें और मिट्टी के करवा में जल भर कर पूजा स्थान पर रखें। अब भगवान श्री गणेश, मां गौरी, भगवान शिव और चंद्र देव का ध्यान कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। चंद्रमा की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दें। फिर छलनी की ओट से चंद्रमा को देखें और उसके बाद अपने पति का चेहरा देखें। इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है। घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेना न भूलें। (मेजर सुमित प्रोफेसर भव्या उपाध्याय)
अब चौक पर भगवान शिव और मां पार्वती के गोद में बैठे प्रभु गणेश के चित्र की स्थापना करें। मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें और मिट्टी के करवा में जल भर कर पूजा स्थान पर रखें। अब भगवान श्री गणेश, मां गौरी, भगवान शिव और चंद्र देव का ध्यान कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। चंद्रमा की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दें। फिर छलनी की ओट से चंद्रमा को देखें और उसके बाद अपने पति का चेहरा देखें। इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है। घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेना न भूलें। (मेजर सुमित प्रोफेसर भव्या उपाध्याय)
करवा, दीपक, कांस सींक का महत्व
करवा चौथ में भगवान शिव, मां गौरी और गणेश जी की पूजा करने का विधान है। वहीं, मिट्टी के करवा, जिसमें टोटी लगी होती है, उसे गणेश जी की सूंड माना जाता है। करवा चौथ पूजा के दौरान इसी करवा में जल भरकर पूजन का महत्व है। वहीं, करवा चौथ की पूजा में चंद्रोदय के बाद महिलाएं छलनी में दीपक रख चंद्रमा के दर्शन करने के पश्चात अपने पति का चेहरा देखती हैं। मान्यता है ऐसा करने से नेगेटिविटी दूर होती है और पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है। कांस की सींक शक्ति का प्रतीक है, जिसे करवा की टोटी में डालकर पूजा की जाती है। (श्री सुमित शर्मा श्रीमती रजनी शर्मा, डबरा ग्वालियर
करवा चौथ पूजा सामग्री
मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन, पान, कांस की सींक, कलश, 8 पूरियों की अठावरी, अक्षत, फल, चंदन, श्रृंगार का सामान, व्रत कथा किताब, पीली मिट्टी, फूल, हल्दी, लकड़ी का आसान, सिंदूर, देसी घी, कच्चा दूध, दही, शहद, शक्कर का बूरा, रोली, मौली, मिठाई, छलनी, दीपक। (व्यवसाई सर्वेश प्रिया अरोरा)
करवा चौथ व्रत कथा
एक साहूकार के 7 लड़के और 1 लड़की थी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सेठानी, उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात के दौरान साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने का आग्रह किया। फिर बहन ने अपने भाई को बताया की आज उसने करवा चौथ का व्रत रखा है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण कर सकती है।(अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ पंकज शर्मा डॉ ज्योति शुक्ला)
भाइयों से अपनी बहन की ये हालत देखी नहीं जा रही थी। फिर सबसे छोटा भाई दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। वो दीपक ऐसा प्रतीत होता जैसे की चतुर्थी का चांद हो। उसे देख कर सातों भाइयों की एकलौती बहन अर्घ्य देकर भोजन करने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है, उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़े में बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी पति के मौत की खबर उसे मिलती है। वह बेहद दुखी हो जाती है। तब उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा संकल्प लेती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवित करके रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है और देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह इकट्ठा करती जाती है। (बर्तन व्यवसाई मुकेश उमा वसिष्ठ)
एक साल बाद फिर चौथ का दिन जब आता है तब वह व्रत रखती है और शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' लेकिन हर कोई मना कर देती है। आखिर में एक सुहागन उसकी बात मान लेती है। इस तरह से उसका व्रत पूरा होता है और उसके सुहाग को नए जीवन का आशीर्वाद मिलता है। करवा चौथ की कथा को अलग-अलग तरीकों से कई सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन पढ़ती हैं। (स्कूल संचालक महिपाल नीलम अरोरा)
भाइयों से अपनी बहन की ये हालत देखी नहीं जा रही थी। फिर सबसे छोटा भाई दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। वो दीपक ऐसा प्रतीत होता जैसे की चतुर्थी का चांद हो। उसे देख कर सातों भाइयों की एकलौती बहन अर्घ्य देकर भोजन करने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है, उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़े में बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी पति के मौत की खबर उसे मिलती है। वह बेहद दुखी हो जाती है। तब उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा संकल्प लेती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवित करके रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है और देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह इकट्ठा करती जाती है। (बर्तन व्यवसाई मुकेश उमा वसिष्ठ)
एक साल बाद फिर चौथ का दिन जब आता है तब वह व्रत रखती है और शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' लेकिन हर कोई मना कर देती है। आखिर में एक सुहागन उसकी बात मान लेती है। इस तरह से उसका व्रत पूरा होता है और उसके सुहाग को नए जीवन का आशीर्वाद मिलता है। करवा चौथ की कथा को अलग-अलग तरीकों से कई सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन पढ़ती हैं। (स्कूल संचालक महिपाल नीलम अरोरा)
पौराणिक मान्यता
ऐसी मान्यता है की करवा चौथ का व्रत पार्वती माता ने भगवान शिव के लिए और द्रौपदी ने पांडवों के लिए कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा था। करवा चौथ व्रत को विधिपूर्वक सम्पन्न करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त होता है। करवा माता उनके सुहाग की सदैव रक्षा कर अपना आशीर्वाद देती हैं। (व्यवसाई इशांत डॉक्टर मेघा प्रभाकर)
करवा चौथ थाली में क्या-क्या होना जरूरी?
मिट्टी का करवा
आटे से बना दीपक
कलश
छलनी
फूल
अक्षत
कुमकुम
क्या न करें?
करवा चौथ का दिन सुहागिनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन कुछ कामों को करना अशुभ माना जाता है। इसलिए करवा चौथ के दिन भूलकर भी काले, भूरे, नीले या सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इस दिन लाल, गुलाबी और हरें रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। वहीं, इस दिन अपने पति और घर के बड़े-बुजुर्गों को दुख पहुंचाने या निरादर करने से भी बचना चाहिए। (डॉक्टर दीपक गौतम मेजर स्वप्ना गौतम)
करवा चौथ पर जरूर करें ये काम
16 श्रंगार
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं का व्रत है। इसलिए इस दिन 16 श्रंगार करने का विशेष महत्व है। पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रखा जाता है। करवा चौथ पर महिलाएं सुहाग से संबंधित चीजें पहनकर सज-धजकर तैयार होती हैं और करवा चौथ की पूजा करती हैं।
मेहंदी लगाएं
करवा चौथ पर मेहंदी लगाना सुहागिन महिलाओं के लिए जरूरी माना जाता है। हर शुभ काम में सुहागिनें मेहंदी लगाना पसंद करती हैं। इसलिए अगर आप करवा चौथ पर व्रत रखें या न रखें इस दिन मेहंदी लगाना शुभ माना जाता है।
थाली फेरना
बहन पराई वीरां, चंद चढ़े तां पाणी पीणा...करवा चौथ की पूजा के दौरान थाली फेरते समय ये लाइनें बोलने की मान्यता है। (पत्रकार मामा विपिन नीलू शुक्ला)
चंद्रमा को अर्घ्य कैसे दें?
करवा चौथ के दिन संध्या के समय कथा-पाठ करने के बाद कलश में चांदी का सिक्का और अक्षत के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। फिर इसके बाद पति के दर्शन कर जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है। (नगर के आनंद पुर साहिब में महिलाओं ने की करवा चौथ की पूजा)
चांद कब निकलेगा?
शिवपुरी - रात 8:22
नई दिल्ली - रात 8:15 बजे
लखनऊ- 8:05 बजे
नोएडा- रात 8:14 बजे
गुरुग्राम- रात 8:16 बजे
मुंबई - रात 8:59 बजे
चेन्नई- रात 8:43 बजे
आगरा - रात 8:16 बजे
कोलकाता- शाम 7:46 बजे
भोपाल - रात 8:29 बजे
अलीगढ़ - रात 8:13 बजे
हिमाचल प्रदेश - रात 8:07 बजे
जयपुर 8:26 बजे
पटना- शाम 7:51 बजे

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें