विश्व सामाजिक न्याय दिवस का मुख्य उद्देश व्यक्ति विशेष में बिना किसी भेदभाव और असमानता के समान अधिकार देना है.
*बूढ़ीबरोड़ में कार्यक्रम कर 70 लोगों को जागरूक किया
शिवपुरी। हर साल 20 फरवरी को दुनियाभर में विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है.इसे पहली बार साल 2009 में मनाया गया था. इसका मुख्य उद्देश व्यक्ति विशेष में बिना किसी भेदभाव और असमानता के समान अधिकार देना है.
अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने बताया की शक्ती शाली महिला संगठन द्वारा ग्राम बूढ़ीबरोड़ में महिकाओं एवम बच्चो के साथ जागरूकता कार्यक्रम में बोलते हुए कहा की इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है, हर किसी व्यक्ति को, बिना किसी भेदभाव के समान रूप से न्याय दिलाना और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना. “विश्व सामाजिक न्याय दिवस” के इस उद्देश्य को पूरा करने और लोगों के बीच इस दिन के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं. समाजिक कार्यकर्ता धर्म गिरी गोस्वामी ने कहा की इस दिन दुनिया में होते हैं कई तरह के कार्यक्रम । दुनियाभर में इस दिन लोग कई तरह का कार्यक्रम कर लोगों को जागरूक किया जाता है. इस दिवस को कई तरह के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भी बनाया गया है. इस दिन नस्ल, लिंग, धर्म, जाति इत्यादि के आधार पर बांटे लोगों को एकजुट किया जाता है. इसके अलावा, लोगों के बीच बढ़ रही सामाजिक दूरी को कम करने के लिए उनसे विभिन्न मुद्दों पर बातचीत भी की जाती है. नीतेश ओझा ने इस अवसर पर कहा कि हर साल दुनिया के कई देशों में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य इस दिन को अवसर के रूप में मनाया जाता है. वहीं, भारत ने भी इस ओर कई प्रभावी कदम उठाया है. भारतीय संविधान बनाने के दौरान देश में सामाजिक न्याय का प्रमुखता से ध्यान रखा गया था. वहीं, हमारे संविधान में सामाजिक दूरी को खत्म करने के लिए भी कई प्रावधान मौजूद हैं. बता दें कि भारत सरकार भी संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर इन सामाजिक मुद्दों को खत्म करने की ओर प्रभावी कदम उठा रही है इस अवसर पर आंगनवाडी सहायिका – सरोज सिकरवार ,
शशि,आदिवासी,सीमा ,नीतू,कमर,गुड्डी,बिंद्रा,गुड़िया,किशोरी,रूक्मणी,किशोरी,मिथलेश,भारती महिला,रामा,कल्पना,मिथलेश महिला कृष्णा .रज्जो आदिवासी महिलाओ ने भाग लिया।

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