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उपभोक्ता आयोग ने गाडी मालिक मृतक की पत्नि, बच्चों को वाहन की एन.ओ.सी. सहित क्षतिपूर्ती दिलाने का आदेश किया पारित

सोमवार, 18 मार्च 2024

/ by Vipin Shukla Mama
प्रकरण में पैरवी संजीव बिलगैयाँ अधिवक्ता ने की
शिवपुरी।  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग शिवपुरी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के आधार पर मृतक रहमान खान के परिजन को वाहन की एन.ओ.सी. तथा क्षतिपूर्ति देने का आदेश फायनेंस कंपनी के विरूद्ध पारित किया है।
प्रकरण के संक्षिप्त में आवेदिका मुस्कान बानो पुत्री स्वः रहमान खान तथा श्रीमती मदीना बेगम पुत्री स्वः श्री रहमान खान, निवासी-पुरानी शिवपुरी ने अपने अधिवक्ता संजीव बिलगैयों के माध्यम से एक शिकायत इस आशय की प्रस्तुत की थी कि, स्वः रहमान खान ने फायनेंस कंपनी एच.डी.बी. फायनेंस सर्विसेस लिमिटेड शिवपुरी से वाहन ट्रक कमांक एम.पी. 33 एच 2072 अपनी आजीविकापार्जन के लिये कय किया था जिका चालन स्वः रहमान खान स्वयं करते थे। रहमान खान की मृत्यु हो चुकी है, उनकी मृत्यु होने के बाद उनके वैद्य वारिस उपभोक्ता है, अनावेदक फायनेंस कंपनी से ट्रक फायनेंस हेतु दिनांक 27.02.02019 को 18,93,500/- रूपये ऋण स्वीकृत कराया था उक्त ऋण की अदायगी 59,330/- रूपये की 46 किस्तों में तथा अंतिम किस्त 31,123/- रूपये में माह कुल ऋण अदा करना था। रहमान खान ने माह जून-2022 तक ऋण की किस्तों की अदायगी की और किसी किस्त की अदायगी में चूक नहीं की। ऋण की अंतिम किस्त दिनांक 04.01.2023 को अदा की जानी थी, इसी बीच दिनांक 07.06.2022 को आवेदिका के पति की मृत्यु हो गई। आवेदिका कमांक-2 के पति स्वः रहमान खान के अपने जीवन काल में अनावेदक कंपनी से प्राप्त किये गये वाहन ऋण बावत अनावेदक फायनेंस कंपनी के माध्यम से ऋण की सुरक्षा के लिये बीमा किया था जिसका प्रीमियम रहमान खान द्वारा अदा किये जाने वाली ऋण की मासिक किस्त में समाहित की गई थी, जिस कारण आवेदिका कमांक-2 के पति की मृत्यु हो जाने से अवशेष ऋण राशि को बीमा क्लेम राशि से पूर्ती किया जाकर आवेदिका को वाहन की एन.ओ.सी. प्रदाय की जावे। वाहन आवेदिका के पति के नाम पंजीकृत है जिस कारण उनकी मृत्यु हो जाने से विधि के अनुसार वाहन का चालन किया जाना संभव नहीं है, इस कारण अनावेदक फायनेंस कंपनी के विरूद्ध आवेदिकागण ने वाहन एन.ओ.सी. तथा क्षतिपूर्ति के लिये परिवाद प्रस्तुत किया है, जिसके बाद माननीय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग शिवपुरी के अध्यक्ष, प्रधान न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद शर्मा तथा सदस्यगण श्रीमती अंजु गुप्ता, राजीव कृष्ण शर्मा ने प्रकरण में विचाराधीन प्रश्न निर्मित करते हुये कि, "क्या अनावेदक ने आवेदिकागण को बीमा क्लेम की राशि एवं वाहन की एन.ओ.सी. प्रदाय ना कर सेवा में कमी की है।"
उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में साक्ष्य तथा दस्तावेज का अवलोकन कर अभिलिखित किया की, आवेदिका के पति ने अपने जीवन काल में फायनेंस की गई राशि की सुरक्षा के लिये बीमा किया गया था। परिवाद के समर्थन में शपथ पत्र के साथ ऋण स्वीकृती पत्र की फोटो प्रति तथा ऋण खाते का स्टेटमेंट, सूचना पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र तथा परिवाद पत्र की फोटो प्रति पेश की है। दस्तावेज के अवलोकन से यह दर्शित है कि, "सर्व सुरक्षा प्रीमियम" की राशि 3500/- रूपये अनावेदक फायनेंस कंपनी ने ऋण राशि की प्रीमियम में शामिल होकर प्राप्त की है, जिससे यह प्रकट है कि रहमान खान ने अपने जीवन काल में ऋण राशि की सुरक्षा बतौर सर्व सुरक्षा बीमा अनावेदक द्वारा प्रीमियम राशि प्राप्त कर कराया था। आवेदिकागण की साक्ष्य का कोई खण्डन भी नही किया गया है जिस कारण फायनेंस कंपनी के विरूद्ध सेवा में कमी प्रमाणित है। अनावेदक फायनेंस कंपनी का यह दायित्व था कि आवेदिका कमांक-2 श्रीमती मदीना बेगम के पति रहमान खांन की मृत्यु होने के उपरांत ऋण की शेष बची हुई राशि, बीमा कंपनी से प्राप्त कर आवेदिका कमांक 2 के पति के ऋण खाते में समायोजित कर ऋण खाते को बंद किया जाना चाहिये और वाहन की एन.ओ.सी. प्रदान की जानी चाहिये थी। अतएव समस्त विवेचना के आधार पर आदेश पारित किया गया है कि अनावेदक एच.डी.एफ. फायनेंस कंपनी शिवपुरी एक माह के अंदर आवेदिकागण को फायनेंस वाहन रजिस्ट्रेशन न. एम.पी. 33 एच 2072 की एन. ओ.सी. प्रदान करे तथा मानसिक परेशानी तथा परिवाद व्यय के 3000 रूपये अदा करें तथा एक माह की अवधि के बाद उस पर 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज अदा करें। प्रकरण में आवेदिकागण की ओर से पैरवी संजीव बिलगैयाँ अधिवक्ता द्वारा की गई।

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