ऐसे समझिए
राजधानी भोपाल में सरकारी रिकॉर्ड में अवैध कॉलोनियों की संख्या 576 थी। भाजपा सरकार ने 2016 के पहले बनी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी। इसके तहत 320 कॉलोनियों को वैध कर दिया गया। पिछले साल शिवराज सरकार ने 31 दिसंबर 2022 तक बनी सभी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी, लेकिन यह आदेश अमल में नहीं आ पाया।ऐसे में 256 कॉलोनियों पर एफआईआर हो चुकी है। राजधानी के कई पॉश इलाके ऐसे हैं, जिनके बगल में बस्तियों जैसी अवैध बसाहट हैं। इनमें से ज्यादातर में बिजली, पानी, सड़क और ड्रेनेज जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं। इन कॉलोनियों में ज्यादातर ऐसी हैं, जिनमें लोग सस्ते प्लॉट के चक्कर में ठगे गए हैं।
बिल्डर्स ने उठाया था मामला की थी शिकायत
पिछले दिनों बिल्डर्स के साथ बैठक में भी यह मामला उठा था। बिल्डर्स का यही कहना था कि सरकार के सारे नियम कायदे हमारे लिए होते हैं, जो सारी अनुमतियां लेते हैं, सारे टैक्स चुकाते हैं। अवैध कॉलोनाइजर कहीं भी कॉलोनी काटकर निकल जाते हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। बाद में सरकार इन्हें वैध कर देती है तो नगर निगम सहित सभी पर उसका अतिरिक्त बोझ आता है।नए कानून की जरूरत इसलिए कि वैध करने में भी घपला
मई 2023 में वैध की गई भोपाल 238 अवैध कॉलोनियों में नीलगिरी कॉलोनी भी शामिल है। उस समय ये खाली जमीन थी। यहां बिल्डर ने प्लॉटिंग के लिए 12 फीट चौड़े नाले को 4 फीट का कर दिया। वर्तमान में यहां बिजली के पोल और ट्रांसफार्मर का काम हो गया है, जिसके आधार पर जमीनों की बिक्री जारी है। इसी तरह बिना घर बने वैध हो चुकी कई कॉलोनियों में काम तेज हो गया है।
शिवराज सरकार में यह हुआ था
• शिवराज ने 2022 तक की सभी कॉलोनियां वैध की थी
• मप्र में 8500 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों की सूची बनी थी
• पिछली सरकार ने 6000 कॉलोनियां वैध करने का दावा किया था
• वैध की गई कॉलोनियों में भी सिर्फ नक्शे
पास करने की कार्यवाही की गई।
कानून का मसौदा तैयार करा रहे पीएस : मंत्री
नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि अवैध कॉलोनी के निर्माण के ज्यादातर मामलों में निचले स्तर के अधिकारी-कर्मचारी भी शामिल होते हैं, इसलिए नए कानून में कॉलोनाइजर ही नहीं उस क्षेत्र के अधिकारी-कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी। प्रमुख सचिव को मसौदा तैयार करने के लिए कह दिया गया है।
मौजूदा व्यवस्था पर्याप्त नहीं
पीएस नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई का कहना है कि मौजूदा व्यवस्था में अवैध कॉलोनाइजर पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाती है। उस पर एफआईआर के निर्देश हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में पुलिस चिट्ठी देकर छोड़ देती है। नए कानून पर चर्चा हुई है। मंत्री ने इसके निर्देश दिए हैं, हम लोग जल्द काम शुरू करेंगे।
रासुका लगी तो क्या होगा, साझिए कानून
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, ( एनएसए अथवा रासुका) देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है। यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को गिरफ्तारी का आदेश देता है।

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