शिवपुरी 20 जुलाई। आनंद मार्ग प्रचारक संघ द्वारा आयोजित सामाजिक आध्यात्मिक दर्शन पर आधारित सेमिनार के द्वितीय दिवस पर प्रात: योग प्रशिक्षण ,गुरुदेव श्री श्री आनंदमूर्ति जी द्वारा प्रतिपादित मनुष्य के पंंचकौषात्मक शरीर एवं मन के लिए दिए गए "कौशिकी नृत्य" का प्रशिक्षण योग शिविर में शामिल सभी प्रशिक्षकों को दिया गया। सत्र के द्वितीय दिवस केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य प्रियतोषानंद अवधूत ने सेमिनार के मुख्य विषय "मानव समाज की एकता मूल तत्व" विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि मानव समाज त्रुटि पूर्ण दर्शन पूंजीवाद और साम्यवाद के विचारों द्वारा गरीब व अमीर की विषमता की चौड़ी खाई में विभाजित होते जा रहा है। पूंजीवाद समाज में धर्म के नाम पर सांप्रदायिक आडंबर अंधविश्वास से मानवता को शिकार बना रहा है। और मानव समाज परिणाम स्वरूप जातियता ,क्षेत्रीयता ,सांप्रदायिकता, आदि विभाजनकारी शक्तियों के बीच विभक्त हो रहा है। ऐसे युग संधि में श्री प्रभात रंजन सरकार उर्फ श्री श्री आनंदमूर्ति जी का आविर्भाव हुआ उन्होंने आध्यात्म आधारित सामाजिक दर्शन "प्रउत" विकेंद्रित अर्थव्यवस्था द्वारा निम्नतम आवश्यकता की पूर्ति भोजन, वस्त्र, आवास, चिकित्सा एवं शिक्षा की गारंटी द्वारा मानव समाज को एकताबद्ध किए जाने की व्यवस्था उक्त दर्शन में दी है। वह सहयोगिता आधारित सहकारिता द्वारा कृषि को उद्योग का दर्जा देकर 100% रोजगार का सृजन करके कृषि विप्लव के तहत मानवता को एकता वद्ध करने का विचार मानवता के सामने प्रस्तुत किया है। अत: मानवता भौतिक समृद्धि, मानसिक वृद्धि, एवं आध्यात्मिक सिद्धि द्वारा एक और अभिभाज्य मानव समाज की स्थापना का संकल्प व आध्यात्मिक आधारित योग साधना द्वारा नैतिक नेतृत्व से समाज को एकताबद्ध करने का संकल्प मानव समाज के सामने प्रस्तुत किया है। इस संकल्प के साथ संपूर्ण विश्व में आनंद मार्ग विश्व के करीब करीब सभी देशों में एक मानव समाज की स्थापना के लिए कार्य कर रहा है ।आचार्य जी द्वारा बताया गया कि अध्यात्म और ईश्वर केंद्रित दर्शन ही मानव समाज को एकता सूत्र में बांध सकता है।
प्रेषक निष्काम गर्ग

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