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#धमाका_अच्छी_खबर: "न्यायालय में सिर्फ निर्णय होते हैं, समाधान नहीं", न्यायमूर्ति संजीव एस कालगांवकर ने करैरा में की मध्यस्थता केंद्र की शुरुआत

शनिवार, 17 अगस्त 2024

/ by Vipin Shukla Mama
(युगल किशोर शर्मा की रिपोर्ट)
करैरा। "न्यायालय में सिर्फ निर्णय होते हैं, समाधान नहीं" ये बात बीते रोज न्यायमूर्ति संजीव एस कालगांवकर ने करैरा में  मध्यस्थता केंद्र की शुरुआत करते हुए कही।
नवीन न्यायालय परिसर के अंदर मध्यस्थता केंद्र (मेडिएशन सेंटर ) का लोकार्पण 15 अगस्त को न्यायमूर्ति संजीव एस कालगांवकर, न्यायाधिपति मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय पोर्टफोलियो जज के करकमलों से किया गया। इस अवसर पर प्रदीप मित्तल सतर्कता न्यायाधीश ग्वालियर जॉन, राजेंद्र प्रसाद सोनी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शिवपुरी, डी एल सोनिया अध्यक्ष तहसील विधिक सेवा समिति करेरा, योगेंद्र कुमार त्यागी सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जिला शिवपुरी, करैरा बार काउंसिल के अध्यक्ष महेंद्र सिंह सिकरवार के कर कमलों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति संजीव एस कालगांवकर ने कहा कि न्यायालय में समस्या का समाधान होना बहुत जरूरी है क्योंकि न्यायालय में निर्णय होते हैं समाधान नहीं यदि समाधान होता तो व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय तक अपील करने न जाता। परिवार और समाज में कई ऐसे विवाद होते हैं जिनका निर्णय न्यायालय से पहले समाज में समाधान के द्वारा हो सकता है, लेकिन उसके लिए समाज के प्रबुद्ध जनों को आगे आना होगा कई विवाद जिन्हें हम केवल मूंछ की लड़ाई कह सकते हैं ऐसे विवादों को अगर समाज के प्रबुद्ध नागरिक बैठकर हल करें तो इससे यह लाभ होगा कि आपस में लड़ने वाले दो परिवारों का समय और पैसा बचेगा तो वहीं न्यायालय का समय भी बचेगा।इसी अच्छे कार्य के लिए करैरा के नवीन न्यायालय में मध्यस्थता केंद्र का भवन बनकर तैयार है और आज इसका लोकार्पण भी हो गया है इसलिए आज से इसका उपयोग होना शुरू हो गया है, उन्होंने प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों से भी अपील की कि आप भी जो समाचार लिखते हैं उसमें भी लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करें कि किसी विवाद को न्यायालय में ले जाने से पूर्व सामाजिक स्तर पर हल करें तो परिणाम ज्यादा सुखद निकलेंगे। सामुदायिक मध्यस्थता यदि समाज द्वारा कर ली जाए तो समाज में फैली कई प्रकार की कुरीतियों को आसानी से हल किया जा सकता है , उदाहरण के लिए जैसे कई परिवारों में छोटी-छोटी बातों को लेकर सास-बहू में अनबन हो जाती है यदि यह विवाद समाज द्वारा ही हल कर लिए जाए तो वह परिवार टूटने से बचेगा और वह परिवार न्यायालय की परेशानियों से बच सकेगा इसलिए किसी विवाद को न्यायालय में ले जाने से पूर्व मध्यस्थता से समाधान कर लिया जाए तो अधिक श्रेष्ठ होगा, लेकिन जब मध्यस्थता असफल हो जाए तो कुरुक्षेत्र का मैदान खुला है । समाज द्वारा किए गए प्रयास यह होने चाहिए कि बात न्यायालय तक न पहुंचे ,उन्होंने अपने उद्बोधन के अंत में उपस्थित सभी जनों से अपील की कि न्यायालय परिसर बनाना शासन का काम है लेकिन इसे साफ और स्वच्छ रखना यहां के लोगों की नैतिक जिम्मेदारी है। इस अवसर पर उन्होंने वृक्षारोपण कर पर्यावरण को स्वस्थ्य रखने का संदेश भी दिया। कार्यक्रम के अंत में प्रदीप कुशवाह जिला न्यायाधीश ने समस्त अतिथिगणों का आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम में जिले के न्यायाधीश गण के साथ साथ अन्य तहसील के न्यायाधीश गण भी उपस्थित रहे।











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