दरिद्र होना पाप नहीं, दरिद्रता में परमात्मा को भूल जाना पाप है
शिवपुरी। शहर की राजेश्वरी रोड़ कैला माता मंदिर शिवपुरी पर चल रही सात दिवसीय श्री मद्भागवत कथा के विश्राम दिवस पर कथा वाचक बाल योगी पं वासुदेव नंदिनी भार्गव ने सुदामा चरित्र का वर्णन बड़े ही अश्रु पूरित भाव में बतलाया।
उन्होंने कहा कि सुदामा जी ने अत्यंत ज्ञानी होने के बाद भी अपना जीवन निर्धनता में ही गुजारा, उनका धन तो सिर्फ भगवान का भजन ही था। धन्य है उनकी पत्नी सुशीला जिनके पास तन ढकने मात्र एक ही वस्त्र था परंतु वह पवित्र थी।
सुदामा प्रारब्ध कर्मानुसार निर्धन और दरिद्र थे मगर भगवान के भजन ने उन्हें खजाना महल दे दिया। जिस प्रकार हिमालय से विभिन्न नदियों का उद्गम होता है वैसे ही भागवत जी से भगवान की अनेक लीलाओं की धारा में सब सराबोर हो रहे थे। विराम दिवस पर आज भगवान के अनंत विवाहों की कथा का श्रवण कराया एवं श्री सुदामा चरित्र की कथा का व्याख्यान करते समय कहा की ऐसा कहते हैं कि भगवान ने सुदामा के तीन मुट्ठी चावल खाकर उसे तीन लोक की संपदा का दान कर दिया। ऐसा नहीं है भगवान ने सुदामा को अलग से नही दिया उसे वही दिया जो उसके प्रारब्ध में था। भगवान ने सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बिठाया। सुदामा कोई निर्धन नही है ,उसे निर्धन नही कहा जा सकता। सुदामा तो त्यागी है। कथा के अंतिम दिवस भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। कल हवन पूजन और कन्या भोजन होगा।महिला के गले से उड़ाई चेन
भागवत के दौरान चोर भी सक्रिय रहे। दो घटना प्रकाश में आई। पहली महिला कालंदी के गले से सोने का मंगल सूत्र उड़ाया था। जबकि सोमवार को एक चाय वाले की पत्नी के गले से सोने की चेन उड़ा दी। मंदिर में सीसीटीवी न होने से चेहरा सामने नहीं आया की भक्तों के बीच चोर कौन ?

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