*अधिवक्ता परिषद की प्रांत कार्यसमिति बैठक शिवपुरी में आयोजित
शिवपुरी। देशभर में अधिवक्ता परिषद की मुहिम रही है कि 'निर्णय' नहीं 'न्याय' चाहिए। भारत के न्यायतंत्र को औपनिवेशिक मानसिकता के मायाजाल से बाहर निकालकर भारत-केंद्रित कैसे बनाया जा सकता है इस विषय पर अधिवक्ता परिषद ने विचारवान अधिवक्ताओं के माध्यम से एक विमर्श पूरे देश में खड़ा करने का काम किया है। अधिवक्ता परिषद की 25 वर्षों की यात्रा में नए आयाम को जोड़ते हुए थिंक टैंक नॉलेज कलेक्टिव आयाम का सृजन किया है जिसके माध्यम से भारतीय कानूनों को भारतीय संदर्भ में समझा जा सके और तदनुसार कानूनों में संशोधन किया जा सके। उक्त विचार अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्यप्रकाश राय ने शिवपुरी में आयोजित अधिवक्ता परिषद की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए व्यक्त किए उन्होंने कहा कि कॉलोनियल न्याय व्यवस्था अधिकार केंद्रित रही वहीं हमारी भारतीय न्याय व्यवस्था प्राचीनकाल से कर्तव्य-केंद्रित रही है। राम मंदिर मुकदमा केवल जमीन के लिए लड़ा जाने वाला मुकदमा नहीं था बल्कि यह हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति के प्रतिमान से जुड़ा, न्याय और सत्यता की स्थापना से जुड़ा मुद्दा था। अधिवक्ता परिषद की प्रांत कार्यसमिति बैठक को संबोधित करते हुए ग्वालियर हाईकोर्ट में मध्यप्रदेश सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल और अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय मंत्री दीपेंद्र सिंह कुशवाह ने कहा कि सिर्फ आजादी के आंदोलन में ही नहीं, बल्कि जब आजादी मिल गयी और नए भारत को आकार देने का समय आया तब भी अधिवक्ताओं ने अपनी रचनात्मक भूमिका को पूरे प्राणपण से निभाया है। अधिवक्ता समाज और न्याय के बीच की कड़ी या सेतु होने के नाते एक तरह से सामाजिक अभियंता की भूमिका को निभाते हैं। अधिवक्ता एक ऐसा सोशल इंजीनियर है जो समाज की ताकत और कमजोरियों को अच्छी तरह जानता है। आज के इस दौर में अधिवक्ताओं की भूमिका दरअसल सोशियो लीगल एक्टिविस्ट की भूमिका है। हमारी सारी की सारी न्याय व्यवस्था अधिवक्ताओं के काम पर टिकी हुई है। अधिवक्ता परिषद अपने सामाजिक दायित्वों को निभाने के इसी मिशन में पूरी प्रतिबद्धता के साथ लगी है। अधिवक्ता परिषद की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में इस विषय पर गहन चिंतन हुआ कि भारतीय न्याय व्यवस्था को कैसे सतत और सबल बनाया जाए यह भी चिंतन का एक प्रमुख विषय था। कॉलेजियम सिस्टम पर भी विचार हुआ। देश की न्यायपालिका में चल रहे ज्वलंत विषय त्वरित न्याय के विषय पर भी विचार विमर्श हुआ। भारत के सामाजिक तानेबाने को कैसे मजबूत किया जा सकता है, इस विषय पर भी बैठक में चर्चा हुई एवं वर्तमान न्याय व्यवस्था में इसको कैसे और प्रभावी बनाया जाए इसके बारे में भी चिंतन किया गया।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए अधिवक्ता परिषद के क्षेत्रीय मंत्री विक्रम दुबे द्वारा अधिवक्ता परिषद के निर्धारित चार आयामों के बारे में विशेष जानकारी देते हुए बताया कि इन चार आयामों में मुख्य रूप से आउटरीच पहला आयाम है, दूसरा आयाम नॉलेज कलेक्टिव अर्थात थिंक टैंक, तीसरा आयाम लिटिगेशन और चौथे आयाम के स्वरूप में संगठन की संचरना की गई है। इन चारों आयामों के माध्यम से किस तरह से समाज के गरीब एवं वंचित तबके तक न्याय प्रदान किया जा सकता है और राष्ट्रीय हित से जुड़े जो भी ज्वलंत मुद्दे होते हैं उनका कोर्ट के माध्यम से सार्वजनिक हित में निराकरण कराया जा सकता है इसको लेकर अधिवक्ता परिषद समाज में काम करती है।
*अधिवक्ता परिषद की कार्यकारिणी में नवीन दायित्वों का हुआ आवंटन
शिवपुरी में हुई अधिवक्ता परिषद की प्रांत कार्यसमिति बैठक में प्रदेश और जिला स्तर पर अधिवक्ता परिषद की कार्यकारिणी में नवीन दायित्वों का भी आवंटन किया गया। प्रदेश कार्यकारिणी के स्तर पर प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार को कानून के प्राध्यापक के रूप में प्रांत उपाध्यक्ष एवं एडवोकेट दीवान सिंह रावत को प्रदेश कार्यसमिति सदस्य के दायित्व की घोषणा की गई। वहीं अधिवक्ता परिषद की जिला कार्यसमिति में अध्यक्ष का दायित्व पुनः एडवोकेट अंकुर चतुर्वेदी को सौंपा गया है। कार्यकारी अध्यक्ष एडवोकेट आशीष श्रीवास्तव एवं जिला महामंत्री एडवोकेट विवेक जैन को बनाया गया है। अधिवक्ता परिषद की प्रांत कार्यसमिति बैठक में मुख्य रूप से एडवोकेट शैलेंद्र समाधिया, एडवोकेट दीपक भार्गव, एडवोकेट वीरेंद्र शर्मा, एडवोकेट अजय जैन, सीनियर एडवोकेट गिरीश गुप्ता एवं श्याम सुंदर गोयल, एडवोकेट श्रेय शर्मा, एडवोकेट जय गोयल, महेंद्र श्रीवास्तव, वैष्णवी पाराशर, प्रिंसी सोनी, दीपेश दुबे, विमल वर्मा, अजय गौतम, बहादुर रावत, ब्रजमोहन राठौर, अंकित वर्मा, अंकित अग्रवाल, अमन अग्रवाल, पीयूष गुप्ता, विकास सिंघल, अनुश्री चतुर्वेदी, मुस्कान रघुवंशी, दीपम भार्गव, सौम्या भार्गव, पूर्वी श्रीवास्तव, दिव्यांशी कुशवाह, आशुतोष कुशवाह, राधा रावत, रिंकल वर्मा, दीक्षा रघुवंशी, आकाश जाटव उपस्थित रहे।

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