शिवपुरी। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। हिंदू धर्म में इस पर्व का बहुत अधिक महत्व होता है। गोवर्धन पूजा के दिन लोग घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का आकृति बनाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करते हैं और परिक्रमा लगाते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। दीपोत्सव के चौथे दिन गोवर्धन पूजा का विशेष स्थान है, जो ग्रामीण जीवन और कृषि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। राधा रानी सेवा समिति के गौरव गुप्ता ने गोवर्धन पूजा का महत्व बताते हुए बताया कि यह पर्व हमें प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने और इसे संरक्षित रखने का संदेश देता है साथ ही यह भगवान श्री कृष्ण की और उनके द्वारा दिखाए गए मार्गदर्शन का सम्मान भी है। गिर्राजी भक्त गौरव गुप्ता द्वारा गोवर्धन पूजा की कथा के अनुसार एक बार इंद्रदेव बृजवासियों पर कुपित हो गए थे और भारी वर्षा करते रहे थे। उस समय भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर पूरे गांव को बारिश से बचाया इसके बाद इंद्रदेव ने अपनी भूल स्वीकार की और बृजवासियों के साथ भगवान श्री कृष्ण की महिमा को समझा तभी से इस दिन गोवर्धन पूजा कर भगवान श्री कृष्ण का आभार प्रकट किया जाता है।गोवर्धन पूजन विधि
गोवर्धन पूजा के दिन विशेष प्रकार की पूजा की जाती है सबसे पहले गोबर से गोवर्धन पर्वत भगवान श्री कृष्ण की आकृति बनाकर उन्हें फूल,चावल ,हल्दी,कुमकुम और वस्त्र अर्पित किए जाते हैं साथ में गोवर्धन पर्वत के प्रतीक को अनाज,दूध,दही, भोजन मिठाइयां, पकवानों का भोग लगाया जाता हैं ।इसके बाद गायों और बैलों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है गोवर्धन पूजा के बाद भगवान को 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं।
गोवर्धन पूजा से भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सद्बुद्धि समृद्धि सुख और शांति का संचार होता है इस पूजा से पर्यावरण और कृषि के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।
गोवर्धन पूजा मंत्र: ॐ गोवर्धन धरा धाराय नमः।
श्री कृष्ण मंत्र: ॐ श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणत: कलेशनाशाय गोवर्धनाथ नमो नमः।
शहर की द्वारिकापुरी में हुआ श्रंगार
आज द्वारकापुरी कॉलोनी में दीपक गुप्ता के निवास पर गोवर्धन पूजा के शुभ अवसर पर गिर्राज महाराज के श्रृंगार दर्शन देखते ही बने।
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