इसके लिए मध्यप्रदेश में बिजली कंज्यूमर्स और उनके परिवार के सदस्यों के बैंक अकाउंट्स की जानकारी अब सभी जिलों के कलेक्टर और एसपी को रखनी होगी। इन बैंक अकाउंट की जानकारी मिलने के बाद सरकार कलेक्टर्स के जरिए बिजली बिल जमा नहीं करने वाले उपभोक्ताओं की बकाया वसूली कराएगी। राज्य शासन ने इसके लिए जिलास्तरीय कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं।
यह कमेटी कंज्यूमर्स की केवाईसी (नो योर कस्टमर) कराएगी। डेटा एनालिसिस के आधार पर ऐसे कंज्यूमर्स की पहचान की जाएगी, जो सक्षम होने के बाद भी बिजली का पूरा बिल नहीं देकर गलत लाभ ले रहे हैं। हालांकि, कितना बकाया होने पर इस तरह का एक्शन लिया जाएगा और परिवार के सदस्यों से बैंक अकाउंट से वसूली किस तरह की जाएगी, यह फिलहाल तय नहीं है।
कलेक्टर होंगे कमेटी के अध्यक्ष
पांच सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष कलेक्टर होंगे। पुलिस आयुक्त या पुलिस अधीक्षक, सीईओ जिला पंचायत, नगर निगम आयुक्त और मुख्य नगर पालिका अधिकारी कमेटी के सदस्य होंगे। विद्युत वितरण कंपनी के अधीक्षण अभियंता, महाप्रबंधक शहर (संचालन और संधारण) को सदस्य और कमेटी संयोजक की जिम्मेदारी दी गई है।
कमेटी यह काम भी करेगी
• बिजली का इस्तेमाल करने वाले से प्रभावी रेवेन्यू मैनेजमेंट
• बकाया राशि वाले एरिया और कंज्यूमर्स की पहचान
• ऐसे उपभोक्ता को तलाशना, जो एक से ज्यादा कनेक्शन लेकर फायदा ले रहे हैं
• कोर्ट में पेंडिंग बिजली से जुड़े केस की समीक्षा, फौरन एक्शन के लिए को-ऑर्डिनेशन
कमेटी को सुरक्षा और सुधार की भी जिम्मेदारी
जिला स्तरीय कमेटी को ऊर्जा विभाग द्वारा दी जा रही सब्सिडी का गलत इस्तेमाल करने वालों को रोकने का काम भी करना है। बिजली चोरी पकड़ने और बकाया बिल जमा कराने के दौरान बिजली कर्मचारियों के साथ होने वाली मारपीट की स्थिति में कानूनी कार्रवाई करने के साथ सुरक्षा देने का भी जिम्मा होगा। सरकारी विभागों में बिजली कंपनी की बकाया राशि का पेमेंट कराने की भी जिम्मेदारी भी कमेटी की ही होगी।
कमेटी की हर महीने बैठक होगी। कमेटी यह भी बताएगी कि बिजली कंपनी से सर्विस में किस तरह के सुधार की उम्मीद प्रशासन रखता है।
बिजली डेटा बेस से लिंक होगी उपभोक्ताओं की प्रॉपर्टी
मध्यप्रदेश में 1.77 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं। बिजली कंपनी के पास 1.1 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं के आधार नहीं हैं। इसके चलते अब बिजली कंपनी केवाईसी को अपडेट करने के लिए लोगों की प्रॉपर्टी को बिजली डेटा बेस से लिंक करेगी। विभागीय स्तर पर यह प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है।
15 हजार करोड़ की वसूली होना है
इस समय तीनों कंपनियों के उपभोक्ताओं पर 11,560 करोड़ रुपए बकाया हैं। इस पर 3173 करोड़ रुपए अधिभार (सरचार्ज) है। इसकी वसूली के लिए तीन विकल्प तैयार किए गए हैं।
वसूली के लिए कंपनी के 3 ऑप्शन
• बकाया 10,000 एकमुश्त देने पर अधिभार में 75% छूट। 10,001 से 25,000 पर 60%, 25,001-50,000 पर 50%, 50,001-1,00,000 पर 40% और 1 लाख से अधिक बकाया एकमुश्त देने पर अधिभार में 30% छूट मिलेगी।
• बकाया एकमुश्त चुकाने पर अधिभार में फ्लैट 75% की छूट। यदि 6 समान किस्तों में बकाया देते हैं तो अधिभार 25% कम होगा।
• जिनका 6 माह का बकाया है, उन्हें एकमुश्त भुगतान पर 75% अधिभार में छूट। 6 माह से 1 साल तक वालों को 60%, जिनका 1 साल से अधिक का बकाया है, वे एकमुश्त पैसा चुकाते हैं, तो अधिभार में 50% की छूट मिलेगी।
सब्सिडी घटाने की भी तैयारी में सरकार
मध्यप्रदेश में अटल गृह ज्योति स्कीम में मिल रही बिजली सब्सिडी को भी सरकार घटाने की तैयारी में है। अभी हर घरेलू उपभोक्ता को 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली दी जा रही है। अब इतनी ही यूनिट बिजली 150 रुपए में देने का प्रस्ताव है। इसके अलावा सब्सिडी घटाने के लिए दो और बदलाव की तैयारी है। पहला- अभी सब्सिडी की पात्रता 150 यूनिट तक है। इसे 100 यूनिट पर सीमित किया जाएगा। दूसरा - 100 से 150 यूनिट तक की मासिक खपत वाले घरेलू उपभोक्ता को 'पीएम मुफ्त बिजली घर-सूर्य लक्ष्मी योजना' से लाभ दिया जाएगा।
इसका असर यह होगा कि सब्सिडी के दायरे से करीब 62 लाख घरेलू उपभोक्ता बाहर हो जाएंगे। अभी 108 लाख उपभोक्ताओं को लाभ मिलता है। यह संख्या 46 लाख रह जाएगी।

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