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#धमाका धर्म: "रामसेतु चमत्कार नहीं भारतीय शिल्प का अद्भुत प्रमाण है:" अंजली आर्या

रविवार, 22 दिसंबर 2024

/ by Vipin Shukla Mama
शिवपुरी। रामसेतु भगवती सीता और भगवान राम के अनुपम प्रेम का प्रमाण है,वह चमत्कार नही बल्कि भारतीय शिल्प कौशल का अद्भुत प्रमाण है,आज युवा पीढ़ी जिस दिखावे की और चल पड़ी है कपड़ो की तरह प्रेम बदल रहे है उनको रामसेतु और राम के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए, उक्त कथन कथावाचक अंजली आर्या ने राम कथा के समापन दिवस पर व्यक्त किये।
अंजली आर्या ने आगे कहा कि विश्वकर्मा जी के पुत्र थे नल और नील वह दोनो अद्भुत ज्ञान कौशल के धनी थे, उनके नेतृत्व में रामसेतु बनाया गया जो लाखो वर्ष बाद भी सुरक्षित है वह हमारी कला कौशल का अनुपम उदाहरण है।बल और साहस से परिपूर्ण थे अंगद,वह रावण की लंका में गए पंरन्तु कोई पैर उनका हिला न सका।अंगद ने रावण से कहा कि भगवती माता सीता के अपहरण के पश्चात तुम इतने नीचे आ चुके हो कि श्री राम तो छोड़ो उनके दूत के चरणों मे आ गए हो और कितना गिरोगे।मेघनाद के शव को लेने जाने की बात उनकी पत्नी सुलोचना ने कही तो रावण ने ही कहा बिल्कुल जाओ क्योंकि वहां रावण नही राम है,और जब मेघनाद के शव के पास आकर सुलोचना ने पूछा कि मेरे पति को किसने मारा तो श्री राम बोले है देवी ये मेरा अनुज लक्ष्मण है इसने मारा तब सुलोचना बोली नही मेरे पति को लक्ष्मण ने नही कुसंस्कार ने मारा।आपके संस्कारो और उर्मिला के तप ने मारा है।
विभीषण जब श्री राम को धरती पर और रावण को रथ पर देखता है तब कहता है आप धरती पर है और रावण रथ पर है उसे कैसे मारेंगे,तब श्री राम कहते है मेरे पास संयम,धैर्य,शौर्य और तप का जो रथ है वह रावण के रथ से बड़ा है।और रावण को सीधे तीर नाभि में मारकर उसका अंत श्री राम ने किया,अर्थात पाप का नाश किया।विभीषण के द्वारा उनका अंतिम संस्कार भी रीति के साथ श्री राम ने किया।बहुत हमारे ग्रंथो के साथ छेड़छाड़ की गई है,जैसे भीष्म में संस्कार के लिए जान्हवी जीने गंगा भी कहा जाता है पांच वर्ष तक आश्रम में गयी,भरत के निर्माण के लिए शकुंतला भी आश्रम में रही उसी प्रकार लव कुश में संस्कारों के लिए भी माता सीता आश्रम में गयी,जबकि भ्रामक प्रचार किया गया।रावण के अंत के बाद भरत से मिलाप भारतीय संस्कृति का दर्शन है तो राज्याभिषेक के पश्चात राम राज्य की संकल्पना स्थापित करना ही श्री राम को भारतीय जन मानस के ह्रदय में सदैव सदैव के लिए अक्षुण्ण बनाता है।श्री राम का जीवन भारतीय संस्कृति का वास्तविक यथार्थ प्रमाण है।रावण के अंत के पश्चात लक्षमण जी ने राम जी से कहा कि इतनी सुंदर लंका तो अब अपनी है तब श्री राम ने कहा कि हे लक्ष्मण भले ही ये सोने की लंका है पंरन्तु मुझे जन्मभूमि से बढ़कर नही है,मुझे मेरी मातृभूमि प्राणों से भी प्यारी है।
विदुषी वक्ता अंजली आर्या के मुख से बह रही दिव्य राम कथा का सांतवे दिन भव्य अभिषेक के साथ समापन हुआ जिसमें सभी भावविहल होकर नाच उठे।
भव्य व दिव्य रामकथा में सात दिन तक व्यवस्था में लगे सभी कार्यकर्ताओं का अभिनंदन किया गया।श्री राम कथा का आभार आरती चावला ने किया।दीदी अंजली आर्या ने भी सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।















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