#धमाका खास खबर: नहीं लगती "बोली", न होती "पार्टी", जिसके "नाम" होती है "किटी" वही "महिला" करवाती है "सुंदरकांड", शहर की कुछ "संभ्रांत महिलाओं" ने "बदला "किटी" का फॉर्मेट"
शिवपुरी। दोस्तों महिलाओं के बीच किसी अन्य बात की एहमियत भले कम हो लेकिन किटी का जादू उनके सिर चढ़कर बोलता है। ठीक दिनांक, समय पर किटी का आयोजन होता है। राशि कम या अधिक का कोई पैमाना नहीं लेकिन व्यंजन को लेकर होड़, गेम खेले जाने में प्रतिस्पर्धा और सबसे ऊपर ड्रेस कोड और मनोरंजन यानि की आप समझ गए होंगे कि दोस्ती की एक नई इबारत लिखती किटी की महत्ता एक महिला की जिंदगी में कितनी अधिक है। लेकिन इस कड़ी में शहर की कुछ संभ्रांत महिलाओं की टीम ने आगे आते हुए किटी को नया स्वरूप प्रदान किया है। इस किटी में मात्र दो हजार प्रत्येक महिला देती हैं लेकिन करीब 30 महिलाओं वाली इस किटी की खास बात ये है कि इसमें शामिल महिला बोली नहीं लगाती बल्कि बेहद साधारण अंदाज में कोई भी एक महिला साथी जब किटी अपने नाम पर उठा लेती है तो उसे सुंदरकांड का आयोजन करना होता है। इसमें कोई पार्टी, व्यंजन नहींबल्कि सुन्दर कांड के बाद प्रसाद वितरित करना होता है। इस तरह ये खास और अभिनव किटी इन दिनों नगर में लोगों के बीच चर्चा की वायसबनी हुई है, जिसमें कई सालों से जारी किटी के फॉर्मेट को पूरी तरह बदल दिया गया है और नए अंदाज की इस किटी में भगवान की भक्ति के साथ महिलाओं का हर माह मिलन भी हो रहा है।बीते दिनों पलका अंकुर सहगल ने सुंदरकांड का आयोजन किया। उसी दिन रुचि अग्रवाल ने किटी अपने नाम की और अगला सुंदरकांड भी उनके यहां आयोजित होगा।
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