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#धमाका धर्म: गांधी पार्क की श्री राम कथा में आचार्य अंजली आर्या ने कहा, "आदिकाल से चली आ रही श्रेष्ठ मान्यताओं के प्रेरक पुंज हैं राम"

मंगलवार, 17 दिसंबर 2024

/ by Vipin Shukla Mama
*दूसरे दिन, राम की भक्ति में भक्तों ने लगाए गोते 
शिवपुरी। आदि काल से हम अपनी ऋषि परंपरा से जुड़े चले आ रहे है, उसी प्रेरणा का ये परिणाम है पूरे विश्व में यत्र, तत्र सर्वत्र भगवान राम और कृष्ण के मंदिरबने हुए है और बनते ही जा रहे हैं। इन मान्यताओं को अपने जीवन से प्रमाणित करने वाले वैदिक परंपरा को अपने जीवन से प्रस्तुत करने वाले आदर्श नायक है भगवान राम।
उक्त कथन जैसे ही गांधी पार्क में चल रही राम कथा में विदुषी अंजली आर्या ने प्रस्तुत किये प्रांगण तालियों से गूंज उठा।
महर्षि वाल्मीकि कृत श्री राम कथा के दूसरे दिन दीदी अंजली आर्या ने कहा कि राम ने संस्कार विधि से अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाया। महर्षि वाल्मीकि ने अनुष्टुप छंद के माध्यम से राम के जीवन को बहुत बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया है। राम के जीवन से अगर हम कैकेयी को अलग कर देते है तो सिर्फ दशरथ नंदन राम को पाते है, लेकिन जब कैकेयी को जोड़ते है तब मर्यादा पुरुषोत्तम राम के रूप में हम उन्हें पाते है।आज भी सारे सुख को पाने के बाद पूरे विश्व में जब व्यक्ति आध्यात्म की और मुड़ता है, शान्ति की इच्छा रखता है, तब भारत की पावन भूमि की और दौड़ता है, क्योंकि यहां राम और कृष्ण आदर्श उदाहरण के रूप में मिलते है। रामायण ऐसा श्रेष्ठ ग्रंथ है जिसे सात दिन में तो क्या सात जन्मों में भी प्रस्तुत किया जाना संभव नही है, यहां तो सांकेतिक रूप से राम के विशाल जीवन को प्रस्तुत करने का प्रयास है, कैसे राम से श्री राम तक के जीवन को हम पा सकते है, कैसे अपने जीवन को श्रेष्ठ बना सकते है यही इस रामकथा का सार है। लक्ष्मण से भक्ति, हनुमान से सेवा और सीता से समर्पण सीखने और हर पात्र से जीवन को आदर्श बनाने की सीख देती है रामायण।
ये रामायण संस्कार विधि सिखाती है, गर्भ में जो आत्मा आ गयी है, उसमें संस्कार के लिए कैसे कैसे लक्षण होने चाहिए ये कौशल्या मैया के जीवन से रामायण सिखाती है। जन्म तो पशु पक्षी भी लेते हैं पर जीवन को श्रेष्ठ बनाने की विधि मनुष्य को ही प्राप्त है वह माता ही है जो संस्कारो के माध्यम से बच्चों में देती है।यही रामायण से सीखने की आवश्यकता है, राम का जीवन आदर्श जीवन है वह हमें श्रेष्ठता की और ले जाने की सीख देती है।मनुष्य का जीवन उसके कर्म के हिसाब से चलता है, कर्म से जीवन बदलता भी है, कर्म प्रधान मान्यताओं को स्थापित करने वाला ग्रंथ है वाल्मीकि कृत रामायण। अब इससे स्मरण रखना की भारत को बर्बाद नही किया बाहरी तलवारों ने भारत को बर्बाद किया भारत के ही गद्दारों ने। कोई आक्रांता तब तक कुछ नही कर सकता जब तक हम एक है, रामायण हमे एक रहने की सीख देती है।
कथा के दूसरे दिन सामाजिक समरसता को प्रस्तुत करते हुए सेन समाज, प्रजापति समाज, रजक समाज कथा ने दूसरे दिन की प्रसाद व्यवस्था की। रोटरी क्लब शिवपुरी ने  कथा वाचक दीदी अंजली आर्या का स्वागत किया दीदी के द्वारा उन्हें वाल्मीकि कृत रामायण भेंट की गई। संचालन हिन्दू उत्सव समिति के मनोज अग्रवाल व गजेंद्र शिवहरे  द्वारा किया गया। आभार मुख्य यजमान इंद्रजीत बिल्लू चावला ने व्यक्त किया।















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