शिवपुरी।मानवाधिकार अर्थात विश्व में रहने वाले प्रत्येक मानव को प्राप्त कुछ विशेष अधिकार जो विश्व को एक सूत्र में बांधते हों, हर मानव की रक्षा करते हों, उसे दुनिया में स्वतंत्रता के साथ जीवनयापन करने की छूट देते हों। किसी मनुष्य के साथ किसी भी
कीमत पर कोई भेदभाव न हो, समस्या न हो, सब शांति से खुशी- खुशी अपना जीवन जी सकें, इसलिए मानव अधिकारों का निर्माण हुआ। इसमें देश की प्रगति को ध्यान में रखते हुए शिक्षा का अधिकार जैसे कई सामाजिक अधिकारों को सम्मिलित किया गया। ये
कहना था सामाजिक कार्यकर्ता रवि गोयल का जो की। शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा मानव अधिकार दिवस के उपलक्ष्य में बिलोकला हाई स्कूल में आयोजित जागरूकता शिविर में बोल रहे थे राहुल ओझा ने कहा कि 10 दिसंबर, 1948 को
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर प्रथम बार मानवों के अधिकार के बारे में बात रखी थी। वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र ने हर वर्ष 10 दिसंबर को 'विश्व मानवाधिकार दिवस' मनाना तय किया।
लखन लाल धाकड़ ने कहा कि मानव अधिकार का मतलब मनुष्यों को वो सभी अधिकार देना है, जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। यह सभी अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से मौजूद हैं और इन अधिकारों का उल्लंघन
करने वालों को अदालत द्वारा सजा दी जाती है। रवि गोयल ने अंत में कहा कि इस दुनिया में सभी लोग अधिकारों के मामले में बराबर हैं । देश में लोगों के बीच नस्ल, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार, राष्ट्रीयता या समाजिक उत्पत्ति, संपत्ति, जन्म आदि बातों के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता है
इसलिए मानव अधिकारों का निर्माण किया गया। कोई भी व्यक्ति किसी भा हाल में किसी पर दासता नहीं जता सकता है। हम सभी ईश्वर के संतानें हैं, कोई भी सरकार या संस्था किसी के साथ भेदभाव नहीं कर सकती है।
भारत में मानवाधिकारों की बात की जाए तो यह साफ है कि आज भी कई सारे लोगों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी ही नहीं है, जबकि वे उनके खुद के अधिकार हैं।प्रोग्राम में दो सैकड़ा बच्चो के साथ साथ स्कूल के शिक्षक ब्रह्म प्रकाश कटसेलिया , सुखदेव
जाटव ,भारत सिंह जाटव, अतुल कुमार श्रीवास्तव ,आलोक गॉड, विजय जय कुमार गुप्ता, मनोज कुमार शर्मा ,महेंद्र कुमार शर्मा ,महेंद्र सिंह परिहार, गोपाल कृष्ण अग्रवाल एवं धीरज सिंह राजपूत ने प्रमुख रूप से सक्रिय भागीदारी की।
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