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#धमाका बड़ी खबर: देश के जाने माने अर्थशास्त्री पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह dr Manmohan Singh का निधन, देश भर में शोक

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

/ by Vipin Shukla Mama
Delhi दिल्ली। देश के जानेमाने अर्थशास्त्री पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह का 26 दिसम्बर 2024 गुरुवार की रात निधन हो गया। 92 साल की उम्र में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हुआ। भारतीय राजनीति और आर्थिक सुधारों में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा। उनके निधन की खबर से देश भर में शोक की लहर दौड़ गई है। मनमोहन सिंह दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे, उन्हें हमेशा उनके सरल और शांत स्वभाव के लिए याद किया जाएगा। 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण की राह पर ले जाने वाले डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने दो कार्यकाल (2004-2014) तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की और देश के विकास में अहम भूमिका निभाई। आज तबियत बिगड़ने के बाद देर शाम उन्हें दिल्ली के AIIMS में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वह 92 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। साल 2006 में मनमोहन सिंह की दूसरी बाईपास सर्जरी हुई थी, जिसके बाद से वह काफी बीमार चल रहे थे। गुरुवार को उन्हें सांस लेने में तक़लीफ और बेचैनी के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था। उनका जन्म 26 सितम्बर 1932 को पश्चिमी पंजाब के गाह (अब पाकिस्तान) में हुआ था।
पंजाब और ऑक्सफोर्ड से की पढ़ाई
आप साल 2004 से 2014 तक दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे और भारत के बड़े अर्थशास्त्रियों में उनकी गिनती होती थी। उन्होंने चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय और ग्रेट ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी।
दुनिया ने माना लोहा 
डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के रूप में की। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाया। शिक्षण के बाद उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं में कदम रखा। 1972 से 1976 तक वे भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे। इसके बाद 1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया। 1985 से 1987 तक वे योजना आयोग के अध्यक्ष भी रहे। मनमोहन सिंह पहली बार 1991 में राज्य सभा के लिए चुने गए थे। 1991 में जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था तब डॉ. मनमोहन सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री का पद संभाला। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की ओर ले जाने वाले ऐतिहासिक सुधार किए। उनकी नीतियों ने भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकाला और वैश्विक मंच पर एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया। उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए उन्हें 1993 और 1994 में 'फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर' का खिताब दिया गया। 1998 से 2004 तक, जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में थी, मनमोहन सिंह राज्य सभा में विपक्ष के नेता थे। मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री थे। वह जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी के बाद चौथे सबसे लंबे समय तक पीएम पद पर रहने वाले प्रधानमंत्री थे। मनमोहन सिंह भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री भी थे। उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक विकास के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी छवि को मजबूत किया। उनके कार्यकाल में सूचना प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव हुए। 2010 में उन्हें सऊदी अरब के 'ऑर्डर ऑफ किंग अब्दुलअजीज' और 2014 में जापान के 'ग्रैंड कॉर्डन ऑफ द ऑर्डर ऑफ द पॉलोनिया फ्लावर्स' से सम्मानित किया गया।
आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा जीवन
1987 में उन्हें भारत सरकार ने 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया। उनके नाम पर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दर्ज हैं। डॉ. मनमोहन सिंह अपने सादगीपूर्ण जीवन और ईमानदार छवि के लिए हमेशा जाने जाते रहेंगे। उन्होंने हमेशा देश की प्रगति और आम जनता के हित को प्राथमिकता दी। उनका निधन भारत के लिए एक बड़ी क्षति है। वे एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने न केवल भारत को आर्थिक संकट से उबारा बल्कि एक समृद्ध और स्थिर देश की नींव भी रखी। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

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