Delhi दिल्ली। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ महासंयोग में 13 जनवरी सोमवार से होने जा रहा है। इसके अगले दिन मकर संक्रांति पर्व है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पौष पूर्णिमा पर बुधादित्य योग अत्यंत फलदायी होगा। बुधादित्य योग के महासंयोग में होने जा रहे महाकुंभ में डेढ़ महीने की अवधि में छह प्रमुख स्नान होंगे। विशिष्ट योग नक्षत्र में आने वाली तिथियों पर कुंभ स्नान धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्रदान करने वाला माना गया है। विष्णु पुराण की मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के समय अमृत पान के लिए हुए देव दानव युद्ध के समय अमृत की बूंदें जहां-जहां गिरी, वहां सूर्य व गुरु के राशि परिवर्तन के समय कुंभ, अर्ध कुंभ, दीर्घ कुंभ महाकुंभ व सिंहस्थ का आयोजन होता है।
जानिए किन तिथियों में होंगे प्रमुख स्नान
13 जनवरी को प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ होने जा रहा है। इस बार प्रयागराज महाकुंभ में 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा, 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या, 3 फरवरी को वसंत पंचमी, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा तथा 26 फरवरी को प्रमुख स्नान होंगे।
दूसरे स्नान में जन्मकालिक दोष समाप्त होंगे
महाकुंभ का दूसरा स्नान मकर संक्रांति के दिन है। इस दिन तीर्थ स्नान व दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। सूर्य के उत्तरायन का महापर्व साधु संत व ऋषि मनीषी के दर्शन से जीवन को कृतार्थ करने वाला माना गया है। इस योग में महाकुंभ में स्नान पापों का नाश कर पुण्य प्रदाता रहेगा। इस दिन गंगा स्नान से जन्मकालिक दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
महायोग में सफल होगा मनोरथ
जिस समय महाकुंभ का शुभारंभ होगा, ग्रह गोचर में सूर्य बुध का युति संबंध रहेगा। यही युति बुधादित्य योग का निर्माण करेगी। बुधादित्य योग कर्म की साक्षी प्रदान करता है। इसीलिए इस योग में तीर्थ स्नान, कल्पवास, सत्संग, तीर्थ यात्रा, धर्म अनुष्ठान आदि का पूर्णफल प्राप्त होता है। इस योग में की गई धर्म आराधना से मनोरथ सफल होते हैं। इस योग में धर्मप्रवर्त लोगों की सुविधा के लिए उपक्रम करने वाला मनुष्य महाप्रतापी होकर पद, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य को प्राप्त करता है।

कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें