खैर इस मुलाकात के क्या मायने हैं ये तो फिलहाल ज्ञात नहीं। बता दें कि उपचुनाव में हार के बाद रामनिवास रावत नाराज हो गए थे। उन्होंने पार्टी पर प्रचार न करने का आरोप लगाया था। अपने राम तो यही कहेंगे भईया ये राजनीति है, इसमें खड़ा ऊंट कब बिठा दिया जाए और बैठा ऊंट कब चल पड़े कहा नहीं जा सकता। सो भैया देख दिनन के फेर।










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