शिवपुरी। अल्का पत्नी अमर बाल्मीकि के नवजात शिशु को जन्म के तुरंत बाद गंभीर श्वसन समस्या (रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस) और शरीर में नीलापन (सायनोसिस) की शिकायत पर जिला अस्पताल शिवपुरी में भर्ती कराया गया। स्थिति बेहद नाजुक थी, लेकिन समय रहते शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर देवेंद्र कौशिक द्वारा की गई तत्परता और विशेषज्ञ जांच के कारण शिशु की जान बचाई जा सकी।
डॉ. कौशिक ने नवजात की पूरी जांच की, जिसमें छाती पर मर्मर (असामान्य ध्वनि) सुनी गई। इस आधार पर तुरंत इकोकार्डियोग्राफी कराई गई, जिसमें दो जन्मजात हृदय दोष पाए गए – एक 6 मिमी का वीएसडी (वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट) और एक 4 मिमी का एएसडी (एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट)। ये दोनों ही स्थितियाँ नवजात की जान के लिए खतरा बन सकती थीं, लेकिन जिला अस्पताल में उपलब्ध आधुनिक सुविधाओं और अनुभवी डॉक्टरों की टीम ने इसे चुनौती की तरह लिया।
समय रहते शिशु का समुचित इलाज शुरू किया गया, और पूरी देखरेख के बाद नवजात को सफलतापूर्वक स्वस्थ अवस्था में छुट्टी दे दी गई। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि अब जिला अस्पताल शिवपुरी में नवजातों के लिए उन्नत और जीवनरक्षक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हैं।
परिजनों ने डॉक्टर देवेंद्र कौशिक और अस्पताल स्टाफ का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जिला अस्पताल में जिस तरह का इलाज मिला, वह निजी अस्पतालों से किसी भी तरह कम नहीं है।
जिला अस्पताल शिवपुरी में अब गंभीर से गंभीर नवजात शिशु रोगों का इलाज संभव है, बशर्ते समय पर अस्पताल लाया जाए। डॉक्टर देवेंद्र कौशिक जैसे विशेषज्ञों की मौजूदगी जिले के लिए एक सौभाग्य है।
इनका कहना है
“जिला अस्पताल शिवपुरी में अब नवजात शिशुओं के जटिल रोगों का भी प्रभावी इलाज संभव है। यह हमारे डॉक्टरों की विशेषज्ञता और अस्पताल में उपलब्ध उन्नत संसाधनों का परिणाम है। डॉक्टर देवेंद्र कौशिक और उनकी टीम ने जिस तत्परता और समर्पण से कार्य किया, वह सराहनीय है। हमारा प्रयास है कि हर जरूरतमंद को समय पर बेहतर इलाज मिले।”
डॉ. संजय ऋषिश्वर









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