बता दें कि ये कुछ डिफरेंट तरह का घोटाला इस बार सर्प दंश के नाम पर केवलारी तहसील सिवनी में हुआ है। जिसमें 11 करोड़ रुपए का मुआवजा 47 लोगों को 279 बार सांप से डसना बताकर आपस में इंसानों ने बांट खाया। ये घोटाला 2019 से 2022 तक किया गया जिसमें 47 लोगों को 279 बार मारा गया और उनके नाम से 11 करोड़ रुपए का गबन किया गया।
इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड केवलारी तहसील का नायब नाजीर सचिन दहायत है, जिसने पासवर्ड और आईडी लेकर कांड कर डाला। अब वह गिरफ्तार हो चुका है और मामले की रिपोर्ट करीब एक हफ्ते पहले जॉइंट डायरेक्टर, कोष एवं लेखा विभाग जबलपुर रोहित कौशल ने कलेक्टर को भेजी है। जिसमें लिखा है कि सचिन ने किस तरह से इस घोटाले को अंजाम दिया।
जिस द्वारका बाई को 28 बार सांप ने डसा वह गांव में है ही नहीं, गजब
केवलारी तहसील के बिछुआ रैयत गांव की रहने वाली द्वारका बाई को 28 बार सांप काटने से मृत बताया गया और उनके नाम पर 1 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि का गबन हुआ है। गांव की आबादी करीब 2 हजार है। यहां रहने वाले कई लोगों से द्वारका बाई का पता पूछा। कोई भी ऐसी किसी महिला का पता नहीं बता सका।
गांव के सरपंच अर्जुन राय ने बताया कि वे पिछले तीन साल से सरपंच हैं, इस नाम की कोई महिला गांव में नहीं रहती। राय ने बताया कि बेहद छोटा गांव है, यहां किसी की सांप काटने से मृत्यु नहीं हुई। यदि ऐसा होता तो इसकी जानकारी पूरे गांव को होती। गांव में जब भी किसी पर मुसीबत आती है, तो सभी लोग इकट्ठा होते हैं।
रमेश कुमार को सांप ने 29 बार डसा
ग्राम पंचायत सरेखा कला के रमेश कुमार को सांप काटने से 29 बार मृत बताया गया है। सरेखा कला के पूर्व सरपंच अखिलेश ठाकुर ने बताया कि रमेश बहुत बीमार रहता था। उसका दो साल पहले निधन हो गया था। अखिलेश ने आगे बताया कि रमेश को कभी कोई सांप ने नहीं काटा। उसकी मृत्यु के वक्त संबंध योजना के तहत हमने पंचायत से परिजन को 2 लाख रुपए दिए थे। इसके बाद किसी भी प्रकार की कोई राशि शासन से नहीं मिली, न कभी कोई आधार कार्ड मांगा गया।
आइए मिलिए इस मास्टर माइंड से
2019 से 2022 तक 11 करोड़ का गबन करने वाला मास्टर माइंड सचिन दहायत है जो केवलारी तहसील में सहायक ग्रेड-3, नायब नाजीर है। यही घोटाले का मुख्य आरोपी है। हालांकि उक्त मामले में आरोपियों की फेहरिस्त 36 है जिसमें से अभी तक 21 गिरफ्तार हो चुके बाकी फरार हैं। सचिन दहायत ने 2019 से 2022 के बीच इस घोटाले को अंजाम दिया है। सरकारी खजाने को 11 करोड़ 26 लाख रुपए का चूना लगाकर वह फरार हो गया था। जिस समय उसने घोटाला किया, तब उसकी उम्र 26 साल थी। एक साल तक फरार रहने के बाद 2023 में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।
सचिन ने बताया कि उसने 47 लोगों के नामों का इस्तेमाल किया। इनमें से कई लोगों का अस्तित्व ही नहीं है तो कई लोग अभी भी जिंदा हैं। इस पूरे मामले की जांच जबलपुर संभाग के कोष एवं लेखा विभाग ने की थी।
बिना मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस सत्यापन या पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बिना भी भुगतान स्वीकृत
47 लोगों के नाम पर 279 फर्जी मुआवजा प्रकरण बनाए यानी इन 47 लोगों को 279 बार मारा गया। बार-बार संशोधन कर इनके नाम से नए बिल तैयार किए और सरकारी खजाने से मुआवजा राशि निकालकर इन्हें फर्जी खातों में डाला गया।
सचिन ने मध्यप्रदेश सरकार की वित्तीय प्रबंधन प्रणाली यानी आईएफएमएस (IFMS) सिस्टम में भी सेंध लगाई। जांच में ये भी सामने आया कि बिना मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस सत्यापन या पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बिना भी भुगतान स्वीकृत किए गए।
जिन संत कुमार को सरकारी दस्तावेजों में 19 बार मृत घोषित कर 76 लाख रुपए का मुआवजा लिया वो खेतीबाड़ी करते मिले
केवलारी तहसील के मलारी गांव निवासी संत कुमार को सरकारी दस्तावेजों में 19 बार मृत घोषित कर उनके नाम से 76 लाख रुपए का मुआवजा लिया गया था। 70 साल के संतराम गांव के सरपंच रह चुके हैं और अब खेती बाड़ी करते हैं। जब उनसे पूछा कि क्या कभी आपको सांप ने काटा है, तो उन्होंने कहा, ऐसा तो कभी नहीं हुआ। जब उन्हें बताया गया कि सरकारी कागजों में उनकी 19 बार सांप काटने से मौत हुई है, तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। कुछ देर बाद बोले, मैं भी पूर्व जनप्रतिनिधि रहा हूं मगर ऐसा घोटाला न कभी देखा, न सुना।
ऐसे हुआ घोटाले का खुलासा
2019 से 2022 के बीच किए गए इस घोटाले का खुलासा प्राकृतिक आपदा से मृत्यु के मामलों की संख्या से हुआ। दरअसल, मुख्य आरोपी सचिन दहायत ने राहत राशि के नाम पर 11 करोड़ रुपए बांट दिए थे। साल 2022 में जब इन प्रकरणों का ऑडिट शुरू हुआ, तब सचिन ऑडिट टीम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ।
कलेक्ट्रेट सिवनी की वित्त शाखा से तत्कालीन तहसीलदार को सूचना मिली कि केवलारी तहसील का नायब नाजीर अब तक ऑडिट के लिए नहीं पहुंचा है। इस पर तहसीलदार ने 18 अक्टूबर 2022 को उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसके बावजूद सचिन गैरहाजिर रहा। फिर अचानक गायब हो गया। इसके बाद तहसीलदार ने उसके खिलाफ केवलारी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
एसडीएम, तहसीलदारों की भूमिका संदिग्ध जबलपुर संभाग की विशेष टीम ने इस मामले की जांच की। रिपोर्ट में लिखा कि सचिन के अलावा इसमें तत्कालीन एसडीएम अमित सिंह बम्हरोलिया, तत्कालीन तहसीलदार गौरीशंकर शर्मा, तत्कालीन तहसीलदार मोहम्मद सिराज, तत्कालीन तहसीलदार हरीश लालवानी और शेख इमरान मंसूरी को जिम्मेदार पाया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, राहत राशि के प्रकरण तैयार कर स्वीकृति देने में इन सभी अधिकारियों के ही लॉगिन-पासवर्ड का इस्तेमाल किया गया था। तहसीलदार शशांक मेश्राम ने बताया कि रिपोर्ट सिवनी कलेक्टर को सौंपी गई है।
ये बोले पुलिस अधिकारी
मामले में 36 आरोपियों को चिह्नित किया गया है, जिसमें से 21 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, मामले की जांच चल रही है।
आशीष भराड़े एसडीओपी, केवलारी।

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