फिलहाल बात करें सुरवाया भूमि कांड की तो उक्त मामले को SDM उमेश कौरव, पटवारी और उनकी टीम ने मिलकर अंजाम दिया है जिसकी जानकारी लगते ही कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी ने सभी नामांतरण रद्द कर दिए हैं और भूमि को फिर से जिला प्रशासन के अधीन कर दिया है। साथ ही इसके क्रय-विक्रय पर रोक लगाते हुए मूल विक्रेताओं के नाम बहाल करने के आदेश दिए हैं।
तत्कालीन एसडीएम की भूमिका संदिग्ध, निपटे, अनुपम शर्मा नये एसडीएम
उक्त बड़े भूमि घोटाले के प्रकरण में तत्कालीन एसडीएम उमेश कौरब की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। उन्होंने नियमों की अनदेखी कर नामांतरण किया और खरीदारों को उसी दिन नकल जारी कर दी जबकि अच्छे अच्छे लोग महीने भर के पहले नकल नहीं ले पाते। कलेक्टर ने इसी के चलते कोरब को हटाकर अनुपम शर्मा को नया एसडीएम नियुक्त किया है।
गुलमाता प्राइवेट कंपनी ने खिलाया गुल
जांच में सामने आया कि गुलमाता प्राइवेट कंपनी ने यह जमीन मात्र 1.05 करोड़ रुपए में खरीदी, जबकि इसका शासकीय मूल्य 8.62 करोड़ रुपए था।
एक पटवारी की टीप लगी और हो गया खेल
वन भूमि को अकृषि भूमि में बदलने का निर्णय सिर्फ एक पटवारी के बयान पर लिया गया, जो नियमों के विरुद्ध था।
सीलिंग और फॉरेस्ट एक्ट का उल्लंघन
इस घोटाले में सीलिंग एक्ट और फॉरेस्ट एक्ट का उल्लंघन हुआ है। पंजीयन, राजस्व और वन विभाग के अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है। कलेक्टर के इस फैसले से भू-माफिया खेमे में हलचल मच गई है।

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