शिवपुरी। दुनिया में तेजी से बढ़ते रोग चिंता का कारण बने हुए हैं उनमें भी अगर महिलाओं से जुड़े रोग की बात की जाए तो एक सवाल खड़ा होता है कि उचित परामर्श, कारण और फिर निदान किस तरह से हो। सामाजिक मर्यादा और झिझक के चलते कई बार महिलाएं
सामान्य रोग का इलाज न कराकर उसे जटिल बना लेती हैं ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि उन महिलाओं का कोई दर्द समझे, साझा करे और उचित इलाज मार्गदर्शन मिल सके। सौभाग्य का विषय है कि शिवपुरी जिले में एक ऐसी महिला चिकित्सक हैं जिन्होंने न सिर्फ बेहतर इलाज करते हुए सैकड़ों महिलाओं का विश्वास हासिल किया है बल्कि नित नई खोज महिला रोग और निदान विषय पर की हैं। उन्होंने देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी जानकारी का आदान प्रदान करते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की है और इस बार तो एक संवेदनशील लेकिन अहम विषय पर उन्होंने एक किताब यानी पुस्तक ही लिख डाली है, जिसमें विभिन्न बारीक पहलुओं को शामिल करते हुए विषय वस्तु पर प्रकाश डाला गया है। इसी क्रम में जिले की जानी मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. उमा जैन द्वारा संपादित पुस्तक "CHALLENGES IN DIAGNOSIS AND MANAGEMENT OF PRIMARY AMENORRHEA" "महिलाओं में मासिक धर्म शुरू न होने की जटिल समस्या" चिकित्सा जगत में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। इस विषय पर विश्व की यह पहली विस्तृत पुस्तक मानी जा रही है, जिसे डॉक्टरों, विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने भी सराहा है। पुस्तक में प्राथमिक अमेनोरिया के कारणों, लक्षणों, निदान और उपचार की गहन जानकारी दी गई है।
प्राथमिक अमेनोरिया तब होती है जब किसी लड़की को 13 से 15 वर्ष की उम्र तक मासिक धर्म शुरू नहीं होता। इसके पीछे हार्मोनल असंतुलन, आनुवंशिक विकार, शारीरिक दोष या अन्य चिकित्सीय समस्याएं हो सकती हैं। डॉ. जैन ने बताया कि यह केवल शारीरिक समस्या नहीं, बल्कि इसका मानसिक और सामाजिक प्रभाव भी होता है। अक्सर प्रभावित महिलाओं को पारिवारिक बहिष्कार, मानसिक तनाव और आत्मविश्वास की कमी का सामना करना पड़ता है।
डॉ. उमा जैन एवं डॉ. रुचि कालरा ने अपने व्यापक अनुभव और शोध के आधार पर इस पुस्तक का संपादन किया है। इस पुस्तक में देश भर के अनुभवी एवं प्रतिष्ठित डॉक्टरों द्वारा भी कई महत्वपूर्ण अध्याय लिखे गए हैं। इस पुस्तक में कुल 348 पृष्ठ हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस पुस्तक को वैज्ञानिक सटीकता और नैदानिक उपयोगिता के लिए सराहा गया है।
डॉ. उमा जैन 30 वर्षों से वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में सक्रिय हैं। उन्होंने 40 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और स्त्री रोग के क्षेत्र में 15 पुस्तकों के अध्यायों का योगदान दिया है। वे AICOG, AMPOGS, GOGS, ISCCP, ISAR, WALS, IMA, NARCHI, AGOI और AOGIN जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं की सदस्य हैं और महिला स्वास्थ्य एवं कैंसर जागरूकता में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
डॉ. उमा जैन ने बताया कि यह पुस्तक खासतौर पर उन युवतियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए समर्पित है जो प्राथमिक अमेनोरिया की समस्या से जूझ रही हैं।

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