शिवपुरी। शहर की प्रमुख सड़कों पर जाम लगने के पीछे थोक सब्जी मंडी और सब्जी मंडियों के साथ फल मंडी जिम्मेदार हैं। जबकि पुरानी गल्ला मंडी का विशाल मैदान खाली पड़ा हुआ है। जिसमें फल और सब्जी मंडी एक साथ संचालित की जा सकती हैं। जिस भाग में अभी थोक सब्जी मंडी लगती है वह हिस्सा भी पुरानी गल्ला मंडी का ही भाग है जिसे समायोजित कर दिया जाए तो एक व्यवस्थित मंडी की कल्पना साकार हो सकती है लेकिन अफसोस जिला प्रशासन मंडी प्रबंधन के आगे लाचार बना हुआ है। उसके एसडीएम के अधीन होने के बाद भी मंडी प्रबंधन कलेक्टर को आईना दिखा रहा है। नतीजे में सड़कों पर मंडी लगने से हर दिन जाम के हालात बनते हैं। इस बारे में जानकारी की तो पता लगा कि मंडी प्रबंधन के अड़ंगे के चलते इस बड़े मैदान का उपयोग थोक सब्जी मंडी और फल मंडी के लिए नहीं हो पा रहा।
हमने इस बारे में जब कृषि उपज मंडी समिति के अध्यक्ष रह चुके बीजेपी के सिंधिया निष्ट नेता प्रदेश कार्य समिति सदस्य हरवीर सिंह रघुवंशी से बात की तो उन्होंने बताया कि "आपका सुझाव स्वागत योग्य है, लेकिन शिवपुरी मंडी समिति जानबूझकर अपने निर्णय में जनप्रतिनिधियों को दूर रखती है क्योंकि उनका एकमात्र उद्देश्य अपना निजी स्वार्थ सिद्ध करना है। अभी एक सेक्रेटरी सस्पेंड हुआ है इसी तरह जो भी चार्ज लगा उस पर कार्रवाई करने के लिए बोर्ड को बाध्य धोना पड़ेगा क्योंकि अधिनियम में मंडी प्रांगण का प्रावधान है। मेरा कहना है कि आखिर शिवपुरी मंडी प्रशासन इतना अक्षम क्यों है की स्वयं मंडी अधिनियम के विपरीत काम कर रहा है ? खुले में सभी और फल मंडी क्यों लग रही हैं ? जबकि उनके पास खुद का प्रांगण है और जो खाली पड़ा है। जहां तो मुझे जानकारी है कि कलेक्टर साहब ने प्रयास किए थे लेकिन दुख की बात है की मंडी समिति और मंडी बोर्ड के अधिकारियों के तालमेल के अभाव में एक बहुत अच्छा शहर की सुंदरता का कार्य रुक गया। मैं चाहूंगा की मंडी समिति विशेष कर सेक्रेटरी इस बात को पुनः डिप्टी डायरेक्टर मंडी बोर्ड के संज्ञान में लाएं और सब्जी और फल मंडी को अपने स्वयं की प्रांगण में लगवाएं।

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