शिवपुरी। श्रीमंत कै. महाराज माधवराव सिंधिया जी का 100 वा छबीना समारोह 9 जून 2025, सोमवार को आयोजित किया जा रहा है। श्री अशोक मोहिते ऑफीसर छत्री एवं कार्यक्रम संयोजक, शिवपुरी ने बताया कि प्रति वर्षानुसार श्रीमन्त कै. जीजा महाराज छत्री ट्रस्ट, शिवपुरी बैनर तले कै. श्रीमंत माधवराव महाराज सिंधिया (प्रथम) की 100वीं पुण्यतिथि (छबीना) के समारोह पर आयोजित निम्नलिखित कार्यक्रम में सम्मिलित होकर हरिकीर्तन, शास्त्रीय संगीत, भजन उत्सव की शोभा बढ़ाकर हमें कृतार्थ करें।
कार्यक्रम छबीना (पुण्य स्मृति) 9 जून
* रूद्राभिषेक माधवेश्वर महादेव प्रातः 7.30 बजे
* वस्त्रदान व अन्नदान चिन्ताहरण मंदिर पर गरीब, अपाहिज व निराश्रितों को प्रातः 10 बजे।
* ब्राह्मण भोजन प्रातः 12 बजे
* परमश्रद्धेय ढोलीबुआ महाराज
* प्रसाद वितरण व आतिशबाजी रात्रि 8.30 बजे से 9.30 बजे तक।
* छत्री संगीत (शास्त्रीय व सुगम) द्वारा श्री आत्मानंद शर्मा, श्री अशोक कुमार मोहिते
शताब्दी परम्परायें
1. परम श्रद्धेय श्रीमन्त महाराजा माधोराव सिन्धिया द्वारा 08 अगस्त 1921 को श्रीमन्त कै. जीजा महाराज छत्री ट्रस्ट शिवपुरी की स्थापना की। उसी वर्ष प्रथम छबीना समारोह भाद्रपद चर्तुदशी सम्वत् 1979 को मनाया गया। तद्नुसार दिनांक 16 सितम्बर (भाद्रपद चर्तुदशी (अनन्त चौदस) सम्वत् 2082 को उक्त समारोह एवं छत्री ट्रस्ट को 104 वर्ष पूर्ण हुये।
2 छबीना समारोह (पुण्यतिथि समारोह) में अभिषेक, पूजन, भजन, ब्राम्हण भोजन, संकिर्तन, हरीकथा, गरीब अपाहित, अनाथों को अन्नदान, वस्त्रदान व समस्त समाज को शिक्षादान, आनंन्ददान की परम्परा प्रारम्भ हुई।
3. उज्जैन में सन् 1915 में सख्याराजे सदावृत धर्मशाला की परम्परा के अनुसार ही शिवपुरी में चिन्ताहरण हनुमान मन्दिर (पंचमुखी महादेव) पर नित्य अखण्ड व्रत के रूप में सख्याराजे सदावृत का प्रारम्भ हुआ व प्रतिदिन प्रातः गरीबों, अपाहिज, साधू सन्त, निराश्रितों को आटा, दाल, नमक, मिर्च व दक्षिणा प्रदान करने का सदावृत प्रारम्भ हुआ जो लगातार 104 वर्षों से चल रहा है एवं अभी तक 10,69,650 व्यक्ति लाभान्वित हुये हैं एवं प्रतिवर्ष छबीना समारोह पर वस्त्रदान के माध्यम से 22,90 लोग लाभान्वित हुये हैं।
4. सन् 1921 से नित्य संगीत की परम्परा में ग्वालियर घराने का शास्त्रीय संगीत, गजल, भजन, कव्वाली एवं कत्थक नृत्य का आयोजन होता रहा है, जो आज भी 2025 तक यह परम्परा चल रही है। इसमें अनेक मूर्धन्य कलाकारों ने अपना योगदान दिया है।
5 सन् 1921 से नित्य भागवत व शिवपुराण की परम्परा होने के कारण 104 वर्षों में अभी तक 551 भागवत व 642 शिवपुराण का नित्य पाठ 104 वर्षों में हो चुका है।
6. वर्ष में तीज त्योहारों पर अभिषेक, हरिकथा (रामजन्म से हनुमान जन्म तक हरिकथा व कृष्ण जन्म से दही हण्डी तक हरिकथा) श्रावण मास में पाँच ब्राम्हणों द्वारा रूद्र व महिम्न का अभिषेक प्रति सोमवार को होता है। साथ ही सभी त्यौहार, दीवाली, दशहरा, होली, श्रावणी, रंगपंचमी के साथ पांच दरबार (गुड़ीपाड़वा, दशहरा, मकर संक्रान्ती, वसन्त पंचमी व रंगपंचमी) का आयोजन संगीत, इत्रपान, बीड़ा मिष्ठान के होता है।
7. छत्री ट्रस्ट में स्थित मस्जिद में प्रति शुक्रवार की नमाज, शहर काजी द्वारा 104 वर्षों से की जाती है एवं सभी त्यौहार मनाये जाते हैं।
8. छत्रियों का निर्माण वैदिक परम्पराओं के अनुसार जीवन के संस्कार दुःखों से मुक्ती एवं षट विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर) से छुटकारे के लिये स्वयं को ईश्वर की छत्र-छाया में रहने को प्रेषित करने स्थान को छत्री कहते हैं। उसके अनुरूप वर्तमान में जीवन-यापन एवं समय को अनुकूल बनाने के स्थान को भी छत्री कहते हैं।
9. छत्री ट्रस्ट शिवपुरी में 1930 से 2003 तक छत्री पाठशाला में विद्यार्थियों ने शिक्षा दान प्राप्त किया, साथ ही छत्री के पास ब्रम्हचारी आश्रम में 50 छात्र प्रतिदिन भोजन, दूध सन् 1955 से प्राप्त करते थे। छत्री पाठशाला में छात्रों को निशुल्क पुस्तकें, गणवेश एवं दूध व स्वल्पहार प्रतिदिन प्राप्त होता था।
10. छत्री के नगाड़ खाना प्रवेश द्वार पर सन् 1921 से 1975 तक शहनाई वादन व नगाड़ा वादन होता था।
11. पर्यावरण के लिये छत्री ट्रस्ट के कदम के वृक्ष (मित्र गायना परबीलोरम) को महावृक्ष पुरस्कार 1996 से दिल्ली में विज्ञान भवन एवं राष्ट्रपति भवन में अलंकृत किया गया है। सन् 1911 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा श्रेष्ठ जैव विविधता के लिये छत्री के उद्यान को अलंकृत किया गया है। ऑफिसर छत्री।

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