दरअसल, कुछ समय पहले नपाध्यक्ष ने गौरव सिंघल को पीआईसी सदस्य पद से हटाने का पत्र सीधे सौंप दिया था। जबकि नियमों के अनुसार नगर पालिका में पत्राचार का अधिकार केवल सचिव यानी सीएमओ को होता है। इस प्रकरण में न तो सीएमओ की ओर से कोई पत्र जारी हुआ और न ही नियमानुसार प्रक्रिया अपनाई गई। गौरव सिंघल ने इसे अवैध बताते हुए निजी वकील के माध्यम से इस्तगासा दायर किया, जिसमें नपाध्यक्ष के सीधे हस्तक्षेप को नियम विरुद्ध बताया गया। अब यह मामला राजनीतिक रूप से नगर परिषद में तनाव और असंतोष का कारण बनता दिख रहा है।








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